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नागौर

राजस्थान में यहां पूर्व महिला सरपंच को मिला 5 साल का कठोर कारावास, फर्जी डॉक्यूमेंट लगाकर लड़ा था चुनाव

Panchayat Raj Elections 2015: फर्जी शैक्षणिक व अन्य दस्तावेज पेश कर चुनाव लड़ने एवं सरपंच पद पर निर्वाचित होने वाली महिला सरपंच अखावास निवासी राधा देवी (36) पत्नी लिखमाराम को 9 वर्ष के बाद दोषी मानकर फैसला सुनाते हुए अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट मदनलाल बालोटिया ने 5 साल के कठोर कारावास व जुर्माना की सजा सुनाई।

नागौरDec 05, 2024 / 03:13 pm

Akshita Deora

Merta City News: फर्जी टीसी और अन्य दस्तावेजों के जरिए चुनाव लड़ उनमें जीती बीजाथल ग्राम पंचायत की सरपंच को 9 साल बाद कोर्ट ने दंडित किया है। इस मामले में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट डेगाना ने बीजाथल सरपंच को 5 वर्ष के कठोर कारावास व 3 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है।
दरअसल, 2015 में हुए पंचायत राज चुनावों में रियांबड़ी पंचायत समिति की ग्राम पंचायत बीजाथल के सरपंच पद के लिए फर्जी शैक्षणिक व अन्य दस्तावेज पेश कर चुनाव लड़ने एवं सरपंच पद पर निर्वाचित होने वाली महिला सरपंच अखावास निवासी राधा देवी (36) पत्नी लिखमाराम को 9 वर्ष के बाद दोषी मानकर फैसला सुनाते हुए अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट मदनलाल बालोटिया ने 5 साल के कठोर कारावास व जुर्माना की सजा सुनाई। अभियोजन अधिकारी कमलेश चौधरी ने राज्य सरकार की ओर से पैरवी की। न्यायालय से ही पूर्व सरपंच राधा देवी को न्यायिक हिरसात में लेते हुए जेल भेजा गया।
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कोर्ट ने सुनाए अपने फैसले में वर्ष 2015 में हुए ग्राम पंचायत बीजाथल के सरपंच पद के लिए राधा देवी ने 8वीं पास होने की टीसी प्रस्तुत कर चुनाव लड़ा। जिसकी शिकायत होने पर मामला दर्ज करवाया गया। पुलिस अनुसंधान में टीसी फर्जी होना पाया गया। न्यायालय में पिछले 9 वर्षों से चल रहे प्रकरण की गहनता से सुनवाई करने के बाद न्यायाधीश ने बीजाथल पूर्व सरपंच राधा देवी को 5 वर्ष का कठोर कारावास व तीन हजार रुपए अर्थदंड के जुर्माने से दंडित किया। उल्लेखनीय है इस तरह पूर्व में फर्जी शैक्षणिक दस्तावेज पेश कर चुनाव लड़ने के मामले में गुंदीसर सरपंच मैना चौधरी व मोगास सरपंच सुरेंद्र कंवर के मामले में भी न्यायालय की ओर से सजा सुनाई गई थी।
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वहीं खींवसर में सार्वजनिक टांका निर्माण को लेकर सरकारी राशि का दुरूपयोग करने के दोषी माने गए ढींगसरा सरपंच दुर्गाराम सारण के निलम्बन पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। मामले में अगली सुनवाई 4 फरवरी को होगी। सरपंच सारण की ओर से उच्च न्यायालय में लगाई गई याचिका पर अधिवक्ता मनीष पटेल ने पैरवी की। सरपंच ने याचिका में बताया कि एक निविदा पर सार्वजनिक टांका निर्माण की स्वीकृति जिला परिषद की ओर से जारी की गई थी। उसकी पालना में टांका निर्माण कार्य होना था। आरोप है कि एक फर्म की ओर से टांका नहीं बनने के बाद भी भुगतान उठा लिया गया। हालांकि वो भुगतान वापस ग्राम पंचायत में जमा करवा दिया गया, लेकिन इसमें कुछ देरी जरूर हुई। इस मामले में राहत देते हुए उच्च न्यायालय ने सारण के निलम्बन पर रोक लगाई है।

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