ज्योतिषाचार्य पण्डित विमल पारीक के अनुसार यह मास भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है। इस कारण इस माह में भगवान विष्णु की आराधन करना फलदायी रहता है। विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करने सहित भागवत कथा, रामकथा तथा गीता पाठ करने का विशेष महत्व है। इस समय किए जाने वाले दान पुण्य तथा धर्म-कर्म का फल अधिक मिलता है। हिन्दू धर्म ग्रंथों में अधिक मास के समय दीप दान करने व मंदिरों में जाकर ध्वजा लगाना भी शुभ माना गया है।
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दौरान पौधारोपण तथा घर-घर तुलसी के पौधे को पहुंचाना काफी लाभकारी होता है, इसलिए अधिकाधिक पौधरोपण करने सहित मिट्टी से पार्थिव शिवलिंग मिट्टी बनाकर पूजा न कर उसे तालाब या सरोवर में विसर्जन करें। अधिकमास में ब्राह्मण सहित जरूरतमंदों को भोजन कराने सहित उन्हें दान करना बहुत ही धर्म का कार्य है। अपनी क्षमता अनुसार इस माह दान पुण्य अवश्य करें।
नहीं करने चाहिए ये कार्य
अधिक मास में विवाह कार्यक्रम पूरी तरह से वर्जित रहते हैं । इस महीने विवाह-सगाई जैसे मांगलिक कार्य भी नही करने चाहिए।
अधिक मास में मांस मदिरा, जमीकंद, हरी सब्जियां का सेवन करना अनुचित माना गया है, ऐसा करने से व्यक्ति पाप का भागीदार बनता है।
इस महीने में किसी नए कारोबार की शुरुआत नहीं करनी चाहिए, मान्यता है कि इस मास में नया व्यापार असफल हो जाता है।
अधिक मास के दौरान भूल से भी अपने गुरु या गुरु समान व्यक्ति, पितृ देव, ईष्ट देव, स्वामी ग्रह और संतों का अपमान नहीं करना चाहिए।
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अधिक मास के दौरान मुंडन संस्कार कराना भी वर्जित माना गया है, क्योंकि यह महीना शुभ कार्यों के लिए नहीं बना है।
अधिक मास में कोई भी दिन बिना पूजा पाठ के नहीं बिताना चाहिए, मान्यता है कि अधिक मास में अधिका अधिक पूजा पाठ करने से अधिक फल मिलता है, इसलिए इसको अधिक मास कहा जाता है।
अधिक मास में महिलाओं को अपने बाल नहीं कटवाने नहीं चाहिए, ऐसा करने से भगवान नाराज होते हैं
इस महीने में झूठ, हिंसा, अत्याचार और चोरी जैसे पाप कर्म नहीं करने चाहिए ।
किसी भी पवित्र तीर्थ स्थल, देवी देवता या पूज्यनीय नदी या सरोवर तालाब के लिए भूल कर भी अपशब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए ।
अधिक मास का महीना भगवान विष्णु का महीना है, ऐसे में इस समयावधि के दौरान पृथ्वी पर्यावरण प्रकृति का उल्लंघन का कार्य नहीं करना चाहिए। साथ ही हरे भरे पेड़ पौधों नहीं काटना चाहिए। तुलसी के पौधे का निरादर नहीं करना चाहिए।