सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुनते हुए कहा कि संविधान देश के हर नागरिक को सरकार के किसी भी फैसले की आलोचना करने का अधिकार देता है। कोर्ट ने इस मामले के संबंध में बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को भी रद्द कर दिया है।
पीठ का यह फैसला जावेद अहमद हजाम की याचिका पर आया, जो कोल्हापुर के एक कॉलेज में प्रोफेसर थे। 10 अप्रैल 2023 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हर नागरिक को दूसरे देशों के नागरिकों को उनके स्वतंत्रता दिवस पर शुभकामनाएं देने का अधिकार है। अगर भारत का कोई नागरिक 14 अगस्त को पाकिस्तान के नागरिकों को शुभकामनाएं देता है जो इसमें कुछ गलत नहीं है। पाकिस्तान 14 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाता है। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने जावेद हाजम के खिलाफ दर्ज मामला खारिज कर दिया।
शीर्ष कोर्ट ने कहा, भारत का संविधान अनुच्छेद 19 (1)(ए) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। इससे नागरिक को यह कहने का अधिकार मिलता है कि वह सरकार के फैसले से नाखुश हैं। इसलिए सरकार द्वारा आर्टिकल-370 को निरस्त किए जाने और जम्मू-कश्मीर की स्थिति बदलने के कदम की आलोचना करने का अधिकार भारत के हर नागरिक को है। दरअसल याचिककर्ता ने हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
क्या है मामला?
महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में प्रोफेसर जावेद अहमद हाजम के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153-ए (साम्प्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देने) के तहत केस दर्ज किया गया था। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है।
दरअसल महाराष्ट्र पुलिस ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 को निरस्त करने के विरोध में व्हाट्सऐप पर स्टेटस रखने के लिए हाजम के खिलाफ कोल्हापुर के हतकणंगले पुलिस थाने में केस दर्ज किया था। 13 अगस्त और 15 अगस्त 2022 के बीच पेरेंट्स और शिक्षकों के व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा रहते हुए प्रोफेसर ने कथित तौर पर स्टेटस के रूप में दो मैसेज पोस्ट किए थे। हाजम ने व्हाट्सऐप पर लिखा था, ‘‘5 अगस्त – जम्मू-कश्मीर के लिए काला दिवस’’ और ‘‘14 अगस्त- पाकिस्तान को स्वतंत्रता दिवस मुबारक।’’