महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले दल को ‘शिवसेना’ नाम और ‘धनुष बाण’ चुनाव चिह्न दिये जाने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट यानी शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में आज इस याचिका पर सुनवाई होनी थी, लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई। इस पर अब तीन हफ्ते बाद सुनवाई होगी।
ठाकरे गुट का कहना है कि एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना मानने का चुनाव आयोग का फैसला एकतरफा है और इसलिए सुप्रीम कोर्ट को इस फैसले को पलट देना चाहिए। अब इस याचिका पर तीन हफ्ते बाद बुधवार या गुरुवार को सुनवाई होने की उम्मीद है। हालांकि तब नवरात्रि और दशहरे की छुट्टियों के कारण इस मामले की सुनवाई नवंबर में शुरू होने की संभावना है।
बता दें कि निर्वाचन आयोग ने इस साल फरवरी में ‘शिवसेना’ नाम और उसका पार्टी चिह्न ‘धनुष एवं बाण’ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नीत गुट को आवंटित किया था। जबकि आयोग ने ठाकरे गुट को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नाम और ‘मशाल’ चुनाव चिह्न को बनाए रखने की अनुमति दी, जो उसे अंधेरी ईस्ट विधानसभा उपचुनाव के दौरान मिला था। इस निर्णय से उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका लगा है, क्योकि उनके दिवंगत पिता बालासाहेब ठाकरे ने 1966 में शिवसेना की स्थापना की थी।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पिछले साल जून में उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी। जिससे शिवसेना दो हिस्सों में बंट गई थी। बाद में शिंदे ने अपने खेमे के विधायकों के साथ बीजेपी के साथ गठबंधन किया और राज्य में सरकार बनाई।
वहीँ, शिवसेना के 16 विधायकों की अयोग्यता मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को फैसला लेने का निर्देश दिया। महाराष्ट्र में सत्ता संघर्ष का नतीजा 11 मई को आया था। तब सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने सीएम शिंदे सहित 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला एक समय सीमा के भीतर लेने का आदेश स्पीकर को दिया था।
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को झटका देते हुए एकनाथ शिंदे के पक्ष में फैसला सुनाया और उनकी सरकार को बरकरार रखा। हालांकि शीर्ष कोर्ट ने तब राज्यपाल रहे भगत सिंह कोश्यारी की कार्यशैली पर तल्ख टिप्पणी की। जबकि स्पीकर राहुल नार्वेकर के फैसले पर भी सवाल उठाये थे।