मनोहर जोशी का निधन, जानें कौन थे ‘जोशी सर’
जोशी पर बालासाहेब को था पूरा भरोसा
मनोहर जोशी बालासाहेब ठाकरे के बेहद भरोसेमंद और करीबी सहयोगी थे। नवंबर 2012 में बालासाहेब ठाकरे का निधन हो गया। इसके बाद दादर के शिवाजी पार्क मैदान में हुए शिवसेना की दशहरा रैली में बड़ी घटना हुई। उस वक्त जब मनोहर जोशी मंच पर आए तो कुछ शिवसैनिकों ने उनके खिलाफ नारेबाजी की। जिसके बाद पार्टी के कद्दावर नेता को मंच छोड़कर जाना पड़ा। दिलचस्प बात यह है कि उद्धव ठाकरे ने भी उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की। यहां तक की उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण में कहा था कि मैं तानाशाही बर्दाश्त नहीं करूंगा।
गढ़ में लगी सेंध तो जोशी सर आउट..
कहते है 2004 से मनोहर जोशी के राजनीतिक करियर का ग्राफ गिरने लगा। वह उत्तर मध्य मुंबई लोकसभा क्षेत्र से चुनाव हार गए। शिवसेना के गढ़ मुंबई में पूर्व मुख्यमंत्री जोशी की हार शिवसेना के लिए शर्मिंदगी की वजह बन गई। इसके बाद भी बाला साहेब ने उन्हें शिवसेना से राज्यसभा भेजा था।
उद्धव युग शुरू
2009 में मनोहर जोशी एक बार फिर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया। राज्यसभा में उनका कार्यकाल ख़त्म होने के बाद उनकी जगह अनिल देसाई को मौका दिया गया। इस दौरान शिवसेना में टिकट बांटने का पूरा अधिकार उद्धव ठाकरे के पास चला गया था। राज ठाकरे, नारायण राणे जैसे नेताओं ने शिवसेना छोड़ दी थी। शिवसेना में उद्धव युग शुरू हो चुका था। दरअसल स्वास्थ्य कारणों से बाल ठाकरे शिवसेना के कामकाज से दूर हो गए थे। इस दौरान उनके वफादार मनोहर जोशी को भी ज्यादा मौका नहीं दिया गया।
जोशी सर और मातोश्री के बीच बढ़ी दूरी
इस बीच, नवंबर 2012 में बालासाहेब ठाकरे का निधन हो गया। इसके बाद पार्टी के सारे सूत्र उद्धव ठाकरे के पास चले गए। पार्टी में किनारे कर दिए गए मनोहर जोशी फिर जनता के बीच उतरने लगे। इससे ठाकरे परिवार के अधिकारिक आवास मातोश्री पर भी उनका प्रभाव बढ़ा। ठाकरे के सामने 2014 के लोकसभा चुनाव की चुनौती थी। उस वक्त जोशी ने दक्षिण मध्य मुंबई से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी। लेकिन पिछली हार को देखते हुए उन्हें शिवसेना नेतृत्व ने फिर मौका नहीं दिया। जोशी ने जीत का भरोसा दिलाया, इसके बावजूद दक्षिण मध्य मुंबई से उद्धव ठाकरे ने राहुल शेवाले को उम्मीदवार बनाया।
उद्धव पर साधा निशाना, बिगड़ी बात
इसके साथ ही मनोहर जोशी और मातोश्री के बीच दूरियां बढ़ती गई। एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्होंने बिना नाम लिए उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा। उस समय बाला साहेब के स्मारक का विषय चर्चा में था। जोशी ने उद्धव का नाम लिए बिना तंज कसते हुए कहा था, ‘अगर बालासाहेब को अपने पिता के स्मारक के लिए इतना इंतजार करना पड़ता तो वे सीधे सरकार को उखाड़ फेंकते…।’