बहुमंजिला टॉवर खड़ा करने में बिल्डर ने कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया है। कुछ मामलों में तो कानून का उल्लंघन किया गया है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिस भूखंड पर खान ने टॉवर खड़ा किया है, उसके मालिक जुबेर इब्राहिम के वारिस हैं। इस जगह में म्हाडा का भी हिस्सा है। बिल्डर और म्हाडा अधिकारियों के बीच साठ-गांठ का ही नतीजा है कि जुबेर के वारिसदारों की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
गड़बड़झाला उजागर होने के बाद मंत्रालय के साथ ही म्हाडा के अधिकारी सकते में हैं। बड़ा सवाल यह कि एक ही पावर ऑफ अटार्नी के सहारे शाहिद ने गलत तरीके से दूसरी सोसायटी बना ली। इब्राहिम के वारिसदारों ने साफ इंकार किया है कि उन्होंने शाहिद के साथ कोई एग्रीमेंट नहीं किया है।
इस मामले में पॉवर ऑफ अटॉर्नी समेत फर्जी ढंग से तैयार की गई दो सोसायटियों पर म्हाडा की मेहरबानी साफ नजर आ रही है। यह एक बड़ा सवाल है सरकार और सिस्टम में बैठे लोगों से कि पीडि़तों को आखिर न्याय कब तक मिलेगा।
एड. विद्यासागर साखरे
मामले को गंभीरता से लेते हुए आवास विकास मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील ने म्हाडा से रिपोर्ट तलब की थी। जुलाई के भीतर रिपोर्ट मांगी गई थी। आधा अगस्त बीत गया, मगर म्हाडा की ओर से कोई रिपोर्ट आवास विभाग को नहीं मिली है।
आरके धनावड़े, डिप्टी सेक्रेटरी, हाउसिंग डिपार्टमेंट