मुल्क की सुरक्षा के लिए सैनिकों के अलावा कुछ ऐसे गुमनाम लोग भी जान जोखिम में डालते हैं, जिनकी शहादत का जिक्र अमूमन दस्तावेजों में नहीं होता। ये लोग होते हैं अंडरकवर एजेंट, जो कि देश की इंटेलिजेंस एजेंसी के लिए काम करते हैं। निर्देशक मेघना गुलजार की फिल्म ‘राजी’ भी एक भारतीय जासूस की कहानी है, जो पाकिस्तान में रहकर अपने वतन के लिए सूचनाएं जुटाती है। ‘वतन के आगे कुछ नहीं…खुद भी नहीं’ में यकीन रखने वाली जासूस की भूमिका को आलिया भट्ट ने पर्दे पर बेहतरीन ढंग से उतारा है।
स्क्रिप्ट
फिल्म की कहानी हरिंदर सिक्का के नॉवल ‘कॉलिंग सहमत’ पर बेस्ड है, जो कि सच्ची घटना से इंस्पायर्ड है। १९७१ की पृष्ठभूमि पर आधारित यह कहानी कश्मीर निवासी हिदायत खान (रजित कपूर) से शुरू होती है, जो कि व्यवसाय करने के साथ देश के लिए जरूरी खुफिया जानकारियां भी जुटाता है। उसकी बेटी सहमत (आलिया भट्ट) दिल्ली में कॉलेज एजुकेशन कर रही है। इसी दौरान हिदायत पाकिस्तान में अपने दोस्त ब्रिगेडियर सैयद (शिशिर शर्मा) से मुलाकात करके लौटता है। उसे महसूस होता है कि पाकिस्तान कुछ ऐसा करने की फिराक में है, जिससे भारत को नुकसान हो सकता है। वह यह बात अपने दोस्त इंडियन इंटेलिजेंस ऑफिसर खालिद मीर (जयदीप अहलावत) को बताता है और वह सहमत को खुफिया जानकारी जुटाने के लिए पाकिस्तान भेजने की कहता है। इस काम को अंजाम देने के लिए वह सैयद के बेटे इकबाल (विक्की कौशल) से सहमत की शादी कर देता है। पाकिस्तान पहुंच कर सहमत मिशन शुरू करती है। इसके बाद कई ट्विस्ट्स और टन्र्स के साथ कहानी आगे बढ़ती है।
एक्टिंग
‘हाईवे’, ‘उड़ता पंजाब’ सरीखी फिल्मों में अदाकारी की छाप छोड़ चुकी आलिया ने एक बार फिर अभिनय की गहराई दर्शाई है। अपनी पावरहाउस परफॉर्मेंस में वह जासूस की चपलता व सूझबूझ दिखाती हैं, वहीं साधारण लड़की के इमोशंस को भी जीती हैं। विक्की भी सहज अभिनय से दिल जीत लेते हैं। इंटेलिजेंस ऑफिसर के रोल में जयदीप ने संजीदगी दिखाई है। पाकिस्तान ब्रिगेडियर के रोल में शिशिर शर्मा जमे हैं। रजित कपूर, सोनी राजदान, अमृता खानविलकर, अश्वथ भट्ट, आरिफ जकारिया ने भी सहज ढंग से किरदार निभाए हैं।
डायरेक्शन
मेघना की फिल्ममेकिंग और स्टोरीटेलिंग का अंदाज तारीफ के काबिल है। स्क्रिप्ट शानदार है। स्क्रीनप्ले इतनी खूबसूरती से गढ़ा गया है कि फिल्म फ्रेम दर फ्रेम रोचक होती जाती है। देशभक्ति की भावना से लबरेज इस कहानी में किरदारों का संयोजन और चयन भी उम्दा है। साथ ही मेघना ने कलाकारों से भी अच्छा अभिनय करवाया है।
गीत-संगीत को दिलचस्प तरीके से कहानी में पिरोया गया है। बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है। जय पटेल की सिनेमैटोग्राफी फिल्म का प्लस पॉइंट है।
क्यों देखें
‘राजी’ एक इंटरेस्टिंग थ्रिलर है, जिसमें एक जासूस की कहानी को बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया गया है। देशप्रेम और बलिदान के जज्बे से परिपूर्ण यह फिल्म दर्शकों से कनेक्ट करती है। कहानी, आलिया की अदाकारी और मेघना का निर्देशन ‘राजी’ की जान है। ऐसे में इस रोचक और मजेदार फिल्म को जरूर देखना चाहिए।