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मूवी रिव्यू

मूवी रिव्यू: इत्तफाक देखने का मजा दुगुना करना चाहते हैं, तो इसे जरूर पढ़ें

मूवी रीव्यू: ‘इत्तफाक’ देखने का मजा दुगुना करना चाहते हैं, तो इसे जरूर पढ़ें…

Nov 03, 2017 / 05:13 pm

भूप सिंह

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डायरेक्शन : अभय चोपड़ा
स्टार कास्ट : सिद्धार्थ मल्होत्रा, सोनाक्षी सिन्हा , अक्षय खन्ना, मंदिरा बेदी (कैमियो)
म्यूजिक : तनिष्क बागची
रेटिंग : 3 स्टार

आर्यन शर्मा। बीआर चोपड़ा निर्मित और यश चोपड़ा निर्देशित ‘इत्तफाक’ (1969) हिन्दी सिनेमा में सस्पेंस थ्रिलर कैटेगरी में खास स्पेस रखती है। राजेश खन्ना और नंदा अभिनीत इस मर्डर मिस्ट्री को काफी पसंद किया गया था। अब बीआर चोपड़ा के ग्रैंडसन अभय चोपड़ा ने इसी फिल्म पर बेस्ड ‘इत्तफाक’ से बतौर निर्देशक डेब्यू किया है। इसकी कहानी में दो मर्डर, दो सस्पेक्ट और दो वर्शन को इस तरह पिरोया गया है कि कहानी अंत तक दर्शकों को बांधे रखती है और उनके जेहन में यह सवाल बनाए रखती है कि आखिर कातिल कौन है? नए निर्देशक के लिए सस्पेंस थ्रिलर बनाना थोड़ा चैलेंजिंग था, लेकिन उन्होंने एक अच्छा प्रयास किया है। हालांकि क्लाइमेक्स और बेहतर हो सकता था।

स्क्रिप्ट
कहानी में यूके बेस्ड फेमस नॉवलिस्ट विक्रम सेठी (सिद्धार्थ मल्होत्रा) पर डबल मर्डर का चार्ज है। दरअसल, उसकी वाइफ कैथरीन और एडवोकेट शेखर सिन्हा का मर्डर एक ही रात में कुछ घंटों के अंतराल में हुआ है। इस डबल मर्डर मिस्ट्री की इन्वेस्टिगेशन पुलिस ऑफिसर देव वर्मा (अक्षय खन्ना) कर रहा है। दोनों कत्ल की तफ्तीश में शक की सुई सबसे पहले विक्रम पर ही टिकती है, वहीं शेखर के मर्डर में सस्पेक्ट उसकी वाइफ माया (सोनाक्षी सिन्हा) भी है। दोनों अपनी-अपनी कहानी सुनाते हैं, जिससे शक की सुई बार-बार इन दोनों पर घूमती रहती है और दर्शकों में यह कौतूहल बना रहता है कि मर्डर किसने किया। मजेदार ट्विस्ट्स के साथ कहानी आगे बढ़ती है और एक रोचक क्लाइमेक्स पर खत्म होती है।

एक्टिंग
सिद्धार्थ ने अलग तरह की भूमिका बखूबी निभाई है, वहीं सोनाक्षी ने भी सहज अभिनय किया है। लेकिन टिपिकल नो-नॉन्सेंस कॉप के रोल में अक्षय बाजी मार ले गए। उनकी डायलॉग डिलिवरी इम्प्रेसिव है, जिसमें वह कभी-कभी सीरियस अंदाज में भी गुदगुदा देते हैं। पूरी फिल्म में वह फ्रंट सीट पर नजर आए और उम्दा एक्टिंग से दिल जीतने में कामयाब रहे।

डायरेक्शन
स्टोरी दिलचस्प है और स्क्रीनप्ले भी रोचक है, जिससे अंत तक थ्रिल बना रहता है। अभय चोपड़ा का डायरेक्शन अच्छा है और उन्होंने सस्पेंस थ्रिलर जोनर को बखूबी पकड़ा है। माइकल लुका की सिनेमैटोग्राफी आकर्षक है, वहीं बैकग्राउंड स्कोर भी कहानी का रहस्य बनाए रखने में मदद करता है। फिल्म की अवधि भी इसका प्लस पॉइंट है, वहीं कोई सॉन्ग नहीं होने से नॉन-स्टॉप रिद्म के साथ कहानी आगे बढ़ती है।

क्यों देखें?
इंटेस्टिंग स्टोरी, टाइट स्क्रीनप्ले, अच्छा डायरेक्शन, उम्दा एक्टिंग, सपोर्टिव बैकग्राउंड स्कोर और जबरदस्त ट्विस्ट्स एक सस्पेंस थ्रिलर के प्रमुख एलीमेंट्स होते हैं, जिसमें काफी हद तक यह फिल्म खरी उतरती है। बहरहाल, रहस्य और रोमांच से भरपूर फिल्मों के शौकीनों के लिए इस ‘इत्तफाक’ से इत्तफाक रखना घाटे का सौदा नहीं है।

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