scriptशहर में हैडपंप खनन पर रोक नहीं लगाई तो गिर सकता है जल स्तर, बिगड़ सकता है मृदा का पारस्थितिक तंत्र | Patrika News
मोरेना

शहर में हैडपंप खनन पर रोक नहीं लगाई तो गिर सकता है जल स्तर, बिगड़ सकता है मृदा का पारस्थितिक तंत्र

– शहर के 47 वार्डो में 1890 हैडपंप पहले से, 94 हैडपंप के कार्यादेश जारी, 200 की और डिमांड, एक साल बाद हो जाएंगे हैडपंप अनुपयोगी, फिर क्यों की जा रही फिजूलखर्ची
– विशेषज्ञ ने कहा, हैडपंपों के ज्यादा उत्खनन से मृदा की परत खोखली हो जाएंगी और भूकंप के झटके आने की बढ़ जाएगी संभावनाएं

मोरेनाJan 12, 2025 / 09:47 pm

Ashok Sharma

मुरैना. नगर निगम क्षेत्र के 47 वार्ड में चंबल वाटर परियोजना से पानी सप्लाई का कार्य अंतिम दौर में चल रहा है। उसके बाद भी हैडपंप खनन को लेकर लगातार जोर दिया जा रहा है। अगर समय रहते उत्खनन नहीं रुका तो जल स्तर नीचे जा सकता है।
शहर के 47 वार्डों में 1890 हैडपंप पहले से थे, वर्ष 2022-23 में 107 हैडपंप खनन किए गए और वर्ष 2023-24 में 47 वार्डों में दो-दो की संख्या के मान से 94 नवीन हैडपंप खनन के कार्यादेश जारी किए जा चुके हैं। इसके बाद भी हैडपंप खनन की डिमांड कम नहीं हो रही है और वर्तमान में वर्ष 2024-25 के लिए करीब 200 नवीन हैडपंप खनन की पार्षदों द्वारा डिमांड की जा रही है। नगर निगम द्वारा भी आंख बंद करके हैडपंपों का खनन किए जा रहा है। अगर इसी तरह हैडपंपों का खनन लगातार चलता रहा तो एक तो शहर का जल स्तर कम हो सकता है, जो पर्यावरण के लिए हनिकारक है। दूसरे निगम के जिम्मेदारों का कहना हैं कि शहर में चम्बल वाटर प्रोजेक्ट का कार्य जारी है। जिससे समस्त घरों को जोड़ा जाना है उक्त कार्य करीबन 1 वर्ष के भीतर ही पूर्ण हो जाएगा जिसके उपरांत उपरोक्त समस्त हैण्डपम्प की उपयोगिता लगभग समाप्त हो जाएगी। जिससे उक्त कार्यों में किया गया व्यय अनुउपयोगी साबित होगा। निकाय की वित्तीय स्थिति तथा पर्यावरण को हानि न हो सकती है। लिहाजा हैडपंप खनन पर रोक लगाने की बजाय निगम लगातार उत्खनन कर रही है। खबर है कि कुछ अधिकारी व पार्षदों को आर्थिक लाभ होने के चलते हैडपंप खनन में ज्यादा रुचि ली जा रही है।
  • 30 प्रतिशत हैडपंप डेड हो चुके हैं शहर में
    नगर निगम द्वारा हैडपंप तो किया जा रहा है लेकिन जिम्मेदारों द्वारा मॉनीटरिंग नहीं की जा रही है। पुराने लगाए गए हैडपंपों में से करीब 30 प्रतिशत हैडपंप डेड हो चुके हैं, वहीं दस प्रतिशत हैडपंपों में दबंगों ने मोटर डालकर उन पर निजी कब्जा कर लिया गया है। हर बार खनन के बाद कुछ हैडपंप ऐसी जगह लगाए जाते हैं, जिनमें मोटर डालने की प्लानिंग पहले से ही हो जाती है।
    .. तो बढ़ सकती है भूकंप के झटके की संभावना
  • हैडपंप के लगातार उत्खनन होने पर वाटर लेबिल नीचे चला जाएगा, एक स्थिति ऐसी हो जाएगी कि जल स्तर पथरीली चट्टानों के नीचे चला जाएगा। उत्खनन पर पेयजल लेबिल मिलेगा ही नहीं। कुछ सूक्ष्म जीव ऐसे हैं जो कुछ निश्चित गहराई पर मृदा रहती है, उनका पारस्थितिक तंत्र भी छिन्न- भिन्न हो जाता है जिससे प्राकृतिक पारस्थितिक तंत्र असंतुलित हो जाएगा तब मृदा के पोषक तत्व ज्यादा गहराई में चले जाएंगे उससे खाद्यान्न उत्पादन प्रभावित होगा साथ ही मृदा के कणों के बीच आसंजन कम हो जाएगा और मृदा की परत खोखली हो जाएगी जिससे भूकंप के झटके आने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।
    डॉ. विनायक सिंह तोमर, जीव वैज्ञानिक
    कथन
  • नगर निगम के वार्ड 47 में पूर्व से करीब 2000 के करीब हैडपंपों का खनन हो चुका है। पिछली साल 94 नवीन हैडपंप खनन के कार्यादेश जारी किए गए हैं और अभी 200 हैडपंपों की डिमांड पार्षदों की तरफ से आई है। चंबल वाटर प्रोजेक्ट से पानी की सप्लाई शुरू होने पर ये हैडपंप अनुपयोगी हो जाएंगे, इसलिए जल्द ही हैडपंप खनन पर रोक लगाने वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष प्रस्ताव रखा जाएगा।
    आर के शर्मा, उपयंत्री व प्रभारी, जल शाखा, नगर निगम

Hindi News / Morena / शहर में हैडपंप खनन पर रोक नहीं लगाई तो गिर सकता है जल स्तर, बिगड़ सकता है मृदा का पारस्थितिक तंत्र

ट्रेंडिंग वीडियो