script9 साल में किडनी मरीजों की संख्या 351 से बढकऱ 3300 हुई, डायलिसिस मशीन से मिली राहत | In 9 years, the number of kidney patients increased from 351 to 3300, thanks to dialysis machines | Patrika News
मोरेना

9 साल में किडनी मरीजों की संख्या 351 से बढकऱ 3300 हुई, डायलिसिस मशीन से मिली राहत

-ग्वालियर में खर्च होते थे 5 हजार, सफर की परेशानी अलग
-मरीज बोले अस्पताल में सुविधा नहीं मिलती तो ग्वालियर भाग-भागकर समय-पैसे की होती थी बर्बादी

मोरेनाJan 11, 2025 / 11:37 am

Ashok Sharma

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मुरैना. जिले में 9 साल में डायलिसिस मरीजों की संख्या 351 से बढकऱ 3398 पर पहुंच गई है। लेकिन राहत की बात यह है कि वर्ष 2016 में शुरू हुई डायलिसिस यूनिट से इन मरीजों को डायलिसिस कराने के लिए 45 किमी दूर ग्वालियर नहीं जाना पड़ रहा, जिससे उनके समय व रुपए की बर्बादी भी बच रही है।
यहां बता दें कि फरवरी 2016 में जिला अस्पताल में एक छोटे से कक्ष में दो मशीनों के साथ डायलिसिस इकाई शुरू हुई थी। वर्ष 2021 से पांच मशीन और पर्याप्त स्टाफ के साथ लोगों को सुविधा दी जा रही है। अभी तक 10733 मरीजों की डायलिसिस (मशीन से खून साफ) हो चुकी है। इस इकाई को जिला अस्पताल के सीनियर मेडिशन विशेषज्ञ डॉ. योगेश तिवारी की देखरेख में संचालित किया जा रहा है। इसमें तीन टेक्नेशियन सहित कुल आठ का स्टाफ है। इनमें से दो टेक्नेशियन सुबह और एक शाम को ड्यूटी पर रहता है। डायलिसिस के लिए अभी तक मुरैना के लोगों को ग्वालियर जाना पड़ता था, वहां ढाई से तीन हजार निजी अस्पताल में लगते और किराया खर्चा मिलाकर चार से पांच हजार रुपए खर्च होते थे और पूरा दिन खराब होता था लेकिन यह सुविधा जिला अस्पताल में नि:शुल्क मिलने से लोगों का पैसा व समय दोनों की बचत हो रही है।
-क्या है डायलिसिस
डायलिसिस एक जीवन रक्षक प्रक्रिया है जो गुर्दे की विफलता वाले लोगों को जीवित रखने में मदद करती है। इसमें गुर्दा की खराबी से पीडि़त मरीजों के रक्त शोधन के लिए विशेष मशीन का उपयोग किया जाता है। यह प्रक्रिया तब आवश्यक होती है जब गुर्दे अपना कार्य ठीक से नहीं कर पाते हैं और रक्त में विषाक्त पदार्थ जमा होने लगते हैं। या फिर गुर्दे अचानक अपना कार्य करना बंद कर देते हैं। हेमोडायलिसिस के माध्यम से रक्त को मशीन में पंप किया जाता है जो रक्त को शुद्ध करके फिर उसे शरीर में वापस भेज दिया जाता है। एक अन्य प्रक्र्रिया में के तहत एक विशेष तरल पदार्थ को पेट में डाला जाता है जो रक्त को शुद्ध करता है और फिर उसे शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।
-मरीजों की जुबानी सुनिए, उन्हें कैसे मिली राहत
  1. मेरे पति की ग्वालियर में डायलिसिस कराई तो एक बार में करीब पांच हजार रुपए का खर्च पड़ता था। लेकिन अब मुरैना में निशुल्क डायलिसिस हो रही है। जिससे पैसा बच रहा है और समय व आदमी की बचत हो रही है। यहां काफी अच्छी व्यवस्थाएं हैं।
    दमयंती, अटेंडर
  2. डायलिसिस के लिए ग्वालियर जाते थे तो दवा व यात्रा मिलाकर करीब तीन हजार रुपए का खर्च आता है लेकिन अब जिला अस्पताल में निशुल्क डायलिसिस हो रही है, जिससे मुझे व परिवार के लोगों को काफी राहत मिली है।
    वासुदेव, मरीज
    -वर्षवार जानिए, कब-कितने किडनी पेशेंट की हुई डायलिसिस
    वर्ष संख्या
    2016 351
    2017 923
    2018 720
    2019 961
    2020 889
    2021 729
    2022 740
    2023 2099
    2024 3398
    -फैक्ट फाइल
    -2016 में दो मशीनों के साथ शुरू हुई थी डायलिसिस इकाई।
  • 2021 से हो गई पांच मशीन।
    -10733 मरीजों की हो चुकी है आठ साल में डायलिसिस।
    -03 टेक्नेशियन मौजूद हैं इकाई में।
    -08 का स्टाफ तैनात है इकाई में।
    -35 मरीजों की चल रही है वर्तमान में डायलिसिस।
    -5000 के करीब खर्च होते थे ग्वालियर में डायलिसिस कराने पर।
    वर्जन:
  • किडनी खराब होने पर मरीज की डायलिसिस की जाती है। उसमें रक्त शोधन वापस मरीज के शरीर में भेज दिया जाता है। इस सुविधा से मुरैना के हजारों लोग लाभान्वित हो रहे हैं। वर्तमान में 35 मरीजों की डायलिसिस की जा रही है।
    डॉ. योगेश तिवारी, एमडी मेडिसिन, जिला अस्पताल

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