मुरैना. कृषि उपज मंडी परिसर में चल रहे शासकीय निर्माण कार्य में चंबल नदी का रेत लगाया जा रहा था। वन विभाग व सिटी कोतवाली पुलिस ने मौके पर पहुंचकर कार्रवाई की। मौके पर पड़े 40 से 50 ट्रॉली रेत को जेसीबी से नष्ट किया गया। वन विभाग के अधिकारियों का कहना हैं कि ठेकेदार के खिलाफ वन्य संरक्षण अधिनियम के तहत एफआइआर की जाएगी। वन विभाग और पुलिस को सूचना मिली कि कृषि उपज मंडी परिसर में ठेकेदारों द्वारा चंबल नदी की रेत से निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं, जिसमें भारी मात्रा में रेत रखा हुआ है। जेसीबी के माध्यम से पूरे रेत को नष्ट कर कर वन अधिनियम के तहत ठेकेदारों के खिलाफ की जाएगी। वन विभाग व पुलिस ने कार्रवाई तो कर दी लेकिन सवाल यह है कि कृषि उपज मंडी के इंजीनियर क्या कर रहे थे, सरकारी निर्माण कार्य में सिंध नदी के बिल लग रहे हैं तो इंजीनियर ने मॉनीटरिंग क्यों नहीं की।
बिजली कंपनी कार्यालय में भी हो रहा है चंबल नदी के रेत का उपयोग बिजली कंपनी कार्यालय में बिल्डिंग के निर्माण में खुलेआम चंबल नदी का रेत लगाया जा रहा है। यहां अधिकारी भी देख रहे हैं लेकिन किसी ने टोका तक नहीं हैं। इसके अलावा हर पंचायत स्तर पर शासकीय निर्माणों में चंबल नदी के रेत का खुलेआम उपयोग हो रहा है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
ठेकेदार ने खड़े किए पुलिस व प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल ठेकेदार कुंज बिहारी शर्मा ने मीडिया के समक्ष चंबल रेत के उत्खनन व परिवहन को लेकर पुलिस, वन विभाग और प्रशासनिक कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं। ठेकेदार ने कहा कि भाजपा कार्यालय, कलेक्टर, एसपी के बंगला, सबलगढ़ कैनाल पर हो रहे निर्माण में खुलेआम चंबल का रेत लगाया जा रहा है। जिले में हर सरकारी निर्माण कार्य में चंबल नदी का रेत लगाया जा रहा है, मुझसे वन विभाग के अधिकारी पैसे मांग रहे थे, नहीं दिए तो मेरे यहां कार्रवाई कर दी। ठकेदार ने कहा कि रोजाना दो हजार ट्रॉली रेत चंबल नदी से परिवहन हो रहा है। डीएफओ बंगला के पास चंबल रेत से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली बड़ी संख्या में खड़े होते हैं, उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की जाती। ठेकेदार के आरोपों से पुलिस, वन विभाग और प्रशासनिक कार्रवाई पर बड़ा सवाल खड़ा हुआ है। कथन
कृषि उपज मंडी परिसर में चल रहे सरकारी निर्माण कार्य में चंबल नदी के रेत के प्रयोग किया जा रहा था, शिकायत मिलने पर गेम रेंज देवरी स्टाफ व पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए जेसीबी से 40 से 50 ट्रॉली रेत को नष्ट किया गया है। संबंधित ठेकेदार के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है। एस एस चौहान, एसडीओ, वन विभाग
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