दरअसल चीन भारत में अपने इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स की खपत बढ़ाता जा रहा है जिनमें चीनी स्मार्टफोंस ( Chinese smartphone ) भी शामिल है। यह स्मार्टफोंस ना सिर्फ कीमत में बेहद सस्ते होते हैं बल्कि इनमें बेहतरीन फीचर्स भी मिलते हैं लेकिन सुरक्षा के लिहाज से इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
आपको बता दें कि भारत में लगातार इन चाइनीज स्मार्टफोंस का मार्केट बढ़ता चला जा रहा है जो किसी खतरे के संकेत से कम नहीं है। अगर साल 2018 की बात करें तो भारत में करीब 60 फीसदी स्मार्टफोन मार्केट चीनी कंपनियों का कब्जा था, जो 2019 में 71 फीसदी हो गया। अब 2020 की पहली तिमाही में ये हिस्सेदारी बढ़कर 81 फीसदी हो गई है।
भारत में चीन की शाओमी कंपनी पहले नंबर पर है, जबकि सैमसंग दूसरे नंबर पर है। टॉप-5 कंपनियों में सैमसंग के अलावा बाकी चारों कंपनियां चीन की हैं। अभी भारत में स्मार्टफोन के मामले में पहले नंबर पर श्याओमी, दूसरे नंबर पर सैमसंग, तीसरे नंबर पर वीवो, चौथे नंबर पर ओपो और पांचवें नंबर पर रीयल मी कंपनियां हैं।
2018 में स्मार्टफोन के बाजार में भारतीय कंपनियों के पास करीब 9 फीसदी की हिस्सेदारी थी, जो 2019 में घटकर 1.6 फीसदी रह गई। अब 2020 की पहली तिमाही में ये आंकड़ा और भी घट गया है और 1 फीसदी के करीब जा पहुंचा है। हालांकि, स्मार्ट टीवी के मामले में तस्वीर थोड़ी अलग है। 2018 में भारत के पास करीब 6 फीसदी स्मार्ट टीवी बाजार की हिस्सेदारी थी, जो 2019 तक बढ़कर 9 फीसदी हो गई। अभी 2020 की पहली तिमाही में इसमें मामूली गिरावट देखी गई है और भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी करीब 8.5 फीसदी है।
अगर चीन से भारत में होने वाले इलेक्ट्रॉनिक सामान के आयात को देखें तो ये पता चलता है कि 2019 में चीन ने भारत को करीब 1.4 लाख करोड़ रुपये के इलेक्ट्रॉनिक सामान बेचे हैं। चीन की वजह से माइक्रोमैक्स, लावा, इंटेक्स और कार्बन जैसे ब्रांड के प्रोडक्ट्स को काफी नुकसान हुआ है। वहीं दक्षिण कोरिया की सैमसंग और एलजी के साथ साथ जापान की सोनी कंपनी को भी चीन की मार झेलनी पड़ रही है।