Dubai भाग रही महिला से मिले 14.5 करोड़ रुपये कैश, अब होगी 14 साल की जेल गौरतलब है कि एच-1बी वीजा पर अमरीका जाने वाले भारतीय पेशेवरों को स्थाई निवासी बनने में दशकों का समय लग जाता है। ग्रीन कार्ड को आधिकारिक रूप से स्थाई निवास कार्ड कहा जाता है। इसकी मदद से उन्हें अमरीका में स्थाई रूप से निवास करने का विशेषाधिकार मिलता है।
इससे एक गैर-अमरीकी नागरिक को अमरीका में स्थायी रूप से रहने और काम करने की अनुमति मिलती है। भारतीय आईटी पेशेवर आमतौर पर एच-1बी कार्य वीजा पर अमरीका जाते हैं। और मौजूदा आव्रजन प्रणाली से सबसे अधिक परेशानी उन्हें ही उठानी पड़ती है। इसका कारण ग्रीन कार्ड या स्थायी कानूनी निवास के आवंटन पर प्रति देश के लिए सात प्रतिशत कोटा ही है।
डेमोक्रेटिक सांसद इलिनोइस राजा कृष्णमूर्ति ने शनिवार को एक बयान में कहा कि रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड के लिए देशों की सीमा खत्म करने से भारतीय आईटी पेशेवरों को काफी राहत मिल सकती है। उनके लिए लंबा इंतजार खत्म होगा। उन्होंने कहा कि आईटी उद्योग में भारतीय प्रतिभा काफी अधिक है। ऐसे में उनके लिए इस तरह की सुविधा होना जरूरी है।
Brazil: Covid-19 से मौत का आंकड़ा 1.5 लाख पार पहुंचा, 50 लाख से अधिक मामले दर्ज कृष्णमूर्ति ने चर्चा के दौरान कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जो बिडेन प्रशासन सीनेट के माध्यम से इस कानून को पारित करने में सक्षम हैं। इस चर्चा का संचालन भारत में अमरीका के पूर्व राजदूत रिच वर्मा ने किया। चर्चा के दौरान भारतीय मूल के सांसद एमी बेरा, प्रमिला जयपाल और रो खन्ना भी शामिल थे। उन्होंने भारतीय पेशेवरों के लिए ग्रीन कार्ड के कोटे को बढ़ाने वकालत की है।