इमरान सरकार पर आरोप है कि उन्होंने CPEC के लिए चीन से कर्ज लेकर पाकिस्तान को कर्ज के फंदे में फंसा दिया है। यानी अमरीका ने इमरान सरकार के लिए CPEC को एक कर्ज का फंदा बताया, जिसपर इमरान सरकार ने टिप्पणी की है।
पाकिस्तान को चीन से झटका, भष्टाचार की वजह से रोक दी CPEC परियोजनाओं की फंडिंग
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमरीका की इस धारणा को खारिज कर दिया है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा ( CPEC ) पाकिस्तान के लिए एक तरह से कर्ज का फंदा है। उन्होंने कहा कि कठिन समय में साथ देने के लिए पाकिस्तान, चीन का अहसानमंद है।
अमरीकी चैनल सीएनबीसी को दिए गए एक साक्षात्कार में इमरान ने CPEC का पक्ष लेते हुए कहा, ‘पाकिस्तान, चीन का आभारी है क्योंकि उसने बेहद कठिन समय में निवेश कर हमारी मदद की। हम उस वक्त बदतरीन हालत में थे जब चीनी (सरकार) आगे आए और हमें उबारा।’
एक सवाल के जवाब में इमरान ने इस बात को पूरी तरह से खारिज कर दिया कि CPEC ने पाकिस्तान को चीन का कर्जदार बनाकर रख दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के कुल कर्ज में चीन के कर्ज का हिस्सा महज पांच-छह फीसदी ही है।
उन्होंने कहा, ‘CPEC विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग प्रदान करता है। इसमें कृषि क्षेत्र को प्रौद्योगिकी का स्थानांतरण भी शामिल है। चीन के निवेश के कारण हम अन्य देशों से निवेश को भी हम आमंत्रित कर सके हैं। हम इस परियोजना के तहत विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना भी करने जा रहे हैं।’
इमरान ने कश्मीर मामले पर ट्रंप से दखल देने की मांग दोहराई
साक्षात्कार के दौरान इमरान ने संयुक्त राष्ट्र और अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से कश्मीर मसले को हल कराने के लिए दखल देने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘कश्मीर की समस्या उससे कहीं अधिक गंभीर है, जितना दुनिया इसे समझ रही है।’
बौखलाए इमरान खान की गिदड़भभकी, कहा- भारत ने कोई भी कार्रवाई की तो चुप नहीं रहेंगे
CPEC को लेकर अमेरिका द्वारा उठाई गई शंकाओं को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी खारिज किया। उन्होंने एक बयान में कहा कि सीपीईसी के संदर्भ में पाकिस्तान की नजर लगातार इस पर बनी हुई है कि उसका हित किसमें है। उन्होंने कहा, ‘हम वो कदम उठाते रहेंगे जो पाकिस्तान के हित में होगा।’
गौरतलब है कि अमरीका की दक्षिण एशियाई मामलों की उप मंत्री एलिस वेल्स ने पाकिस्तान दौरे के दौरान भी CPEC परियोजनाओं की पारदर्शिता पर सवाल उठाया था। उन्होंने इस आशंका को भी दोहराया था कि यह परियोजना पाकिस्तान को चीन के कर्जो के फंदे में हमेशा के लिए फंसा देगी।
इसी पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री की प्रतिक्रियाएं आई हैं। चीन ने भी कड़े शब्दों में जारी बयान में अमेरिका को आगाह किया कि वह पाकिस्तान-चीन के मामलों में और सीपीईसी के मामलों में दखल देने से बाज आए।
चीन से 21.7 अरब डॉलर का कर्ज ले चुका है पाकिस्तान
आपको बता दें कि पाकिस्तान CPEC के लिए चीन से दिसंबर 2019 तक करीब 21.7 अरब डॉलर का कर्ज ले चुका है। इसमें से 15 अरब डॉलर का कर्ज चीनी सरकार और शेष 6.7 अरब डॉलर का कर्ज वहां के वित्तीय संस्थानों ने दिया है।
पाकिस्तान: एक-एक रोटी को मोहताज हैं लोग, इमरान खान ने 3 लाख टन गेहूं आयात करने की दी मंजूरी
अब जब समय सीमा पूरा हो रहा है तो यह कर्ज चुकाना पाकिस्तान के लिए सरदर्द बनता जा रहा है। पाकिस्तान के पास केवल 10 अरब डॉलर का ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा है। ऐसे में अब पाकिस्तान के लिए सवाल है कि ये कर्ज कैसे चुकाएगा। CPEC प्रोजेक्ट की लागत 60 अरब डॉलर है।
इस परियोजना की शुरुआत में ही विशेषज्ञ इसे पाकिस्तान के लिए ‘कर्ज के अंधे कुएं’ सरीखा बता चुके हैं। इमरान को लगता था कि इससे पाकिस्तान में रोजगार के अवसर पैदा होंगे लेकिन इसके ठीक विपरित हो रहा है।
Read the Latest World News on Patrika.com. पढ़ें सबसे पहले World News in Hindi पत्रिका डॉट कॉम पर. विश्व से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर.