नई दिल्ली। ग्बोबल वार्मिंग का प्रभाव दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। प्रदूषण और बढ़ते हुए तापमान के कारण प्राकृतिक आपदाओं का कहर रोजाना ही देखने को मिल जाता है। सबसे बड़ा खतरा तो ये है कि कहीं इस बढ़ते तापमान से आइसबर्ग पिघल न जाएं नहीं तो दुनिया पर सुनामी से बड़ा कहर टूट पड़ेगा और सब कुछ तहस-नहस हो जाएगा और अब कुछ ऐसा ही होने का बिगुल बज चुका है इसे देखकर या जानकर भी यदि हम प्रकृति पर अत्याचार करें तो वो भी अब हम पर रहम नहीं करेगा।
बता दें कि अंटार्टिका में लारसन-सी आईसीई सेल्फ से अब तक का सबसे बड़ा हिमखंड टूटकर बिखर गया है और ये वाक्या वैज्ञानिकों को चौंका दिया है। ये आइसबर्ग अमेरिकी राज्य डेलवेयर के जितना है यानि कि इस आइसबर्ग में 1दस मेड्रिड शहर समा सकते हैं।
करीबन 6000 वर्ग किलोमीटर आकार और 623 फीट मोटाई वाला ये हिमखंड ए-68 टूटने से अंटार्टिका का पूरा नक्शा ही बदल गया है। इस बिखराव से आइसबर्ग का सिर्फ 100 फीट हिस्सा ही पानी के बाहर दिखाई दे रहा है और बाकी पानी के अंदर डुब गया है।
अंटार्टिका के इस वृहद आइसबर्ग के बर्फीले पानी पर 1 लाख 20 हजार सालों में पहली बार धूप पड़ रही है क्योंकि इससे पहले वो बर्फ की मोटी चादर से पूरी तरह ढका हुआ था। हांलाकि ब्रिटिश अंटार्टिंक सर्वे के वैज्ञानिक इससे काफी खुश भी है और इस खुशी का कारण ये हंै कि 21 फरवरी से शुरु हो रहे उनके मिशन के दौरान उन्हें बहुत कुछ नया देखने का मौका मिलेगा।
कुछ ऐसा जो अब तक किसी ने नहीं देखा।लाखों सालों से जो पानी हिमखंड के नीचे छिपा था वो पहली दफा वैज्ञानिकों को देखने को मिलेगा। इस पानी का तापमान माइनस 9 डिग्री है और इसमें ऐसे अनोखे जीव जंतु देखने को मिलें जिसका जिक्र शायद अब तक न हुआ हों।
यहां बता दें कि ये घटना साल 2017 की है हालांकि इसका एनालिसेस वीडियो वैज्ञानिको द्वारा अब जारी किया गया है। प्रकृति की ओर से चेतावनी करने की पहल शुरू हो चुकी है। अगर अब न समझें तो हमारी भयंकर मौत के जिम्मेदार हम खुद होंगे।