scriptनॉर्थ सेंटीनलः धर्म परिवर्तन की ली थी सख्त ट्रेनिंग, कई बार मौत को चकमा दे चुका था चाऊ | Expert missionary John Allen Chou's only aim to convert North Sentinel | Patrika News
विश्‍व की अन्‍य खबरें

नॉर्थ सेंटीनलः धर्म परिवर्तन की ली थी सख्त ट्रेनिंग, कई बार मौत को चकमा दे चुका था चाऊ

बीते 17 नवंबर को अंडमान द्वीप समूह के प्रतिबंधित नॉर्थ सेंटीनल द्वीप में अवैध घुसपैठ में मारा गया अमरीकी नागरिक जॉन एलेन चाऊ केवल मिशनरी नहीं था।

Expert missionary John Allen Chou's only aim to convert North Sentinelese

जॉन एलेन चाऊ

नई दिल्ली। बीते 17 नवंबर को अंडमान द्वीप समूह के प्रतिबंधित नॉर्थ सेंटीनल द्वीप में अवैध घुसपैठ में मारा गया अमरीकी नागरिक जॉन एलेन चाऊ केवल मिशनरी नहीं था। बल्कि वो आदिवासियों के साथ घुलने-मिलने, उनसे बातचीत करने, विपरीत हालात में जिंदा रहने में एक्सपर्ट था। चाऊ के जीवन का इकलौता लक्ष्य नॉर्थ सेंटीनल में रहने वाले आदिवासियों को ईसाई बनाना था। इसके लिए चाऊ ने असंभव हालात में जीवन जीने का प्रशिक्षण भी लिया था और वर्षों से इसका अभ्यास कर रहा था।
मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का खुलासा हुआ है कि हिंदुस्तान के प्रतिबंधित द्वीप नॉर्थ सेंटीनल में अवैध घुसपैठ से कुछ माह पहले अमरीका के कैंसास में चाऊ को एक कठिन प्रशिक्षण शिविर से गुजरना पड़ा। एक यात्रा के दौरान चाऊ की आंखों पर पट्टी बांधकर उसे कैंसास के सुदूर इलाके में एक वीरान और धूल भरे स्थान पर छोड़ दिया गया। काफी दूर पैदल चलने के बाद चाऊ को जंगल के बीच एक गांव मिला।
अंडमान का नॉर्थ सेंटीनलः जानिए 60 हजार साल पुराने कबीले की चौंकाने वाली बातें

इस गांव को प्रशिक्षण के लिए बसाया गया था जहां पर मिशनरी अजीबोगरीब कपड़ों में रह रहे थे। यह आदिवासी जैसे दिखने वाले मिशनरी ऐसा दिखावा कर रहे थे जैसे वे किसी की बात ही नहीं समझ पाते। चाऊ की भूमिका इन लोगों को ईसा मसीह की शिक्षा देना और ईसाई धर्म का प्रचार करना था। यहां के लोग काफी आक्रामक थे और बड़बड़ा रहे थे, जिन्हें चाऊ नहीं समझ पाया। कई आदिवासी तो उस पर नकली भालों से हमला करने को भी आगे बढ़े।
अंडमान का नॉर्थ सेंटीनलः जानिए 60 हजार साल पुराने कबीले की चौंकाने वाली बातें
यह तीन सप्ताह के एक गुप्त और काफी कठिन मिशनरी प्रशिक्षण शिविर का हिस्सा था। यह प्रशिक्षण देने वाले संगठन के कार्यकारी मुखिया मैरी हो ने कहा, “जॉन, इस तरह के आज तक किए गए किसी भी कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाला सबसे श्रेष्ठ प्रतिभागी था।” 26 वर्षीय चाऊ का इस प्रशिक्षण शिविर को सफलतापूर्वक पूरा करना, कई सालों की सूक्ष्म योजना का नतीजा था। इसके लिए चाऊ ने कई भाषाओं को समझने और समझाने का प्रशिक्षण लिया था, आपातकाल में मेडिकल टेक्नीशियन बनने की पढ़ाई की थी और कई ऐसी नौकरियां की थीं जो उसे घूमने और मजबूत बनाने में मददगार हों।
नॉर्थ सेंटीनल से अमरीकी नागरिक का शव लाना ‘नामुमकिन’, ऐसा न करने की दी चेतावनी

चौंकाने वाली बात है कि चाऊ ने यह सब केवल इसलिए ही किया था क्योंकि उसका एक ही लक्ष्य था- नॉर्थ सेंटीनल द्वीप के लोगों का धर्म परिवर्तन। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जब हाईस्कूल में चाऊ को एक मिशनरी वेबसाइट- द जोशुआ प्रोजेक्ट के जरिये यह पता चला कि नॉर्थ सेंटीनल के आदिवासी संभवता दुनिया के सबसे अलग-थलग पड़े हुए लोग हैं, तभी से उसे इनमें दिलचस्पी हो गई। अपने छोटे से जीवन में चाऊ ने फिर जो भी किया, वो इस लक्ष्य को पूरा करने से ही जुड़ा था।
इस मिशन के लिए खुद को तैयार करने के लिए चाऊ नियमित रूप से पुश-अप्स, जॉगिंग समेत कई व्यायाम करता था और खाने पर बहुत ध्यान देता था। चाऊ के दोस्तों का कहना है कि वो मरने के बारे में सोच भी नहीं सकता था और उसने खुद को जिंदा रखने के लिए सभी सावधानियां-तैयारियां की हुई थीं। इनमें उसके साथ रहने वाली ‘इनीशियल कॉन्टैक्ट रिस्पॉन्स किट’ भी शामिल थी जिसमें तीर निकालने के लिए दांत में लगाए जाने वाले नुकीले कांटे भी थे।
अंडमान का नॉर्थ सेंटीनलः जानिए 60 हजार साल पुराने कबीले की चौंकाने वाली बातें
उसके अधिकांश दोस्तों ने माना कि चाऊ जानता था कि यह मिशन बहुत ही खतरनाक और अवैध था, क्योंकि भारत ने सालों से इस द्वीप पर बाहरी लोगों के आने पर पाबंदी लगाई हुई थी। अब उसके दोस्तों को चाऊ की कमी बहुत खल रही है। चाऊ वाशिंगटन के वैंकुवर में पला-बढ़ा था। वकालत करने वाली अमरीकी मां और मनोवैज्ञानिक चीनी पिता की तीन संतानों में जॉन एलेन चाऊ सबसे छोटा था।
चाऊ की शुरुआती पढ़ाई एक ईसाई स्कूल में हुई थी। इसके बाद वो रूढ़िवादी ईसाई संस्थान, ओरल रॉबर्ट्स यूनिवर्सिटी में पढ़ने पहुंचा। कॉलेज के बाद चाऊ ने थोड़े-थोड़े वक्त के लिए कई नौकरियां कीं। इसमें फुटबॉल कोच, जंगल के गाइड, अमरीका के एक स्वैच्छिक नागरिक समाज कार्यक्रम (अमेरीकॉर्प्स) में काम करना शामिल है, ताकि वो यात्रा, पहाड़ की चढ़ाई, नाव चलाना, गोताखोरी, ब्लॉगिंग समेत तमाम ऐसे काम कर सके।
वर्ष 2015 में चाऊ ने कुल चार में से अंडमान द्वीप समूह की पहली यात्रा की थी। उसने अपने दोस्तों को बताया था कि वो खुद को नॉर्थ सेंटीनल द्वीप की सभ्यता-संस्कृति में ही पूरी तरह ढाल लेना चाहता था और सालों तक यही रहना चाहता था। वो यहां पर अकेले जाने के लिए दृढ़-संकल्पित था। अक्टूबर 2017 में कैंसास स्थित ऑल नेशंस के मुख्यालय में चाऊ ने मिशनरी प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया।
अंडमान का नॉर्थ सेंटीनलः जानिए 60 हजार साल पुराने कबीले की चौंकाने वाली बातें

Hindi News / world / Miscellenous World / नॉर्थ सेंटीनलः धर्म परिवर्तन की ली थी सख्त ट्रेनिंग, कई बार मौत को चकमा दे चुका था चाऊ

ट्रेंडिंग वीडियो