ब्रिटेन ने कबूला सच, कोरोना महामारी से निपटने के लिए पांच साल से कर रहा था तैयारी
डब्ल्यूएचओ ने कहा- पिछले साल वाली गलती न दोहराएंविश्व स्वास्थ्य संगठन की यूरोप इकाई ने चेतावनी जारी की है कि सतर्कता नहीं बरती गई तो कोरोना का डेल्टा वेरिएंट इस इलाके में जड़ जमा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह बयान तब आया है, जब यूरोप के कई देश अपने यहां प्रतिबंधों में ढील देने की तैयारी कर रहे हैं। कुछ देश अपने यहां सामाजिक गतिविधियों और सीमा पार यात्रा प्रतिबंधों में भी छूट देने पर विचार कर रहे हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, डेल्टा वेरिएंट पर कुछ टीके प्रभावी नहीं होने के लक्षण भी सामने आए हैं और कई देशों में आबादी का बड़ा हिस्सा, जिसमें बुजुर्ग भी शामिल हैं, उन्हें टीका नहीं लग सका है। ऐसे में पाबंदियां हटाना खतरनाक साबित हो सकता है। डब्ल्यूएचओ की यूरोप इकाई के मुताबिक, पिछले साल गर्मियों में कम उम्र के लोगों में कोरोना संक्रमण के मामले धीरे-धीरे बढ़ते गए और यह बुजुर्गों तक बढ़ गया। इससे महामारी का खतरनाम दृश्य देखने को मिला और अधिक संख्या में मौतें हुईं। इस बार फिल उसी गलती से बचना चाहिए।
खतरा: वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद भी कोरोना का डेल्टा वेरिएंट आपको कर सकता है संक्रमित
ब्रिटेन बढ़ा सकता है चार हफ्ते है लॉकडाउनकोरोना के डेल्टा वेरिएंट से जुड़े केस ब्रिटेन में लगातार सामने आ रहे हैं, जिसके बाद यहां की सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। यहां पहले ही 21 जून तक के लिए लॉकडाउन लगा हुआ है, मगर नए मामलों में लगातार वृद्धि को देखते हुए ब्रिटिश सरकार इसे और चार हफ्ते के लिए बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। ब्रिटेन में गत फरवरी के अंत तक हालात खराब थे और फिर नए केसों की संख्या में कमी आनी शुरू हुई थी, मगर डेल्टा वेरिएंट की वजह से यह संख्या एक बार फिर बढऩी शुरू हो गई है। यहां बीते 24 घंटों में संक्रमण के आठ हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड यानी पीएचई को पता चला कि डेल्टा वेरिएंट (बी1.617.2) के केस एक हफ्ते में करीब 30 हजार से बढक़र 42 हजार से अधिक हो गए हैं। वहां की सरकार अभी हालात पर नजर बनाए हुए है और संभवत: सोमवार को इस पर निर्णय किया जा सकता है।
दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स और नेशनल सेंटर ऑफ डिजीज कंट्र्रोल ने अलग-अलग एक अध्ययन किया है। इसके मुताबिक, भारत में गत अक्टूबर में कोरोना वायरस का एक वेरिएंट सामने आया था, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने डेल्टा नाम दिया है। इस डेल्टा वेरिएंट पर भारत की दोनों वैक्सीन (कोविशील्ड और कोवैक्सीन) की दोनों खुराकें असरकारक नहीं हैं। कहने का मतलब यह कि किसी भी वैक्सीन की दोनों खुराकें लेने के बाद भी आप इस डेल्टा वेरिएंट के संक्रमण से बच नहीं सकते।
भारत में कोरोना संक्रमण के नए केस घटे, मगर मौतों का आंकड़ा अब भी चिंताजनक
डेल्टा वेरिएंट की वजह से दूसरी लहर में बरपा कहरहालांकि, दोनों ही संस्थानों (एम्स और नेशनल सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल) के अध्ययनों की समीक्षा अभी तक नहीं हुई है। मगर एम्स की ओर से किए गए अध्ययन के मुताबिक, डेल्टा वेरिएंट ब्रिटेन में पाए गए अल्फा वेरिएंट के मुकाबले 40 से 50 प्रतिशत तक ज्यादा संक्रामक है। भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में बढ़ते केसों की वजह भी यही वेरिएंट है।