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कई जगहें त्रासदी की होंगी शिकार
जिन जगहों पर यह त्रासदी होगी वे भारत के ओखा, मोरमुगाओ, भावनगर, मुंबई, मैंगलोर, चेन्नई, विशाखापट्टनम, तूतीकोरन कोच्चि, पारादीप और पश्चिमी बंगाल के किडरोपोर तटीय इलाके होंगे। नासा की रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल वॉर्मिंग के असर से बर्फ के पिघलने का असर ज्यादा दिखेगा। भविष्य में तटीय इलाकों में रह रहे लोगों को इसे छोड़कर सुरक्षित जगहों पर जाना होगा।
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नासा रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम बंगाल का किडरोपोर इलाका, जहां बीते वर्ष तक समुद्री जलस्तर के बढ़ने का कोई खतरा नहीं हो रहा है। वहां पर भी वर्ष 2100 तक आधा फीट पानी बढ़ने की आशंका है।
नासा ने बनाया सी लेवल प्रोजेक्शन टूल
गौरतलब है कि नासा ने एक सी लेवल लेवल प्रोजेक्शन टूल तैयार किया है। इससे समुद्री तटों पर आने वाली आपदा का समय से पहले पता चल जाता है। इससे वक्त रहते लोगों को निकालने में मदद मिलेगी। इस ऑनलाइन टूल की मदद से जलस्तर से जुड़ी आपदा को समय रहते पता लगाया जा सकता है।
मैदानी इलाकों में मचेगी तबाही नासा की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2100 तक दुनिया का तापमान काफी तेजी से बढ़ जाएगा। इससे लोगों को भयानक गर्मी सहनी पड़ सकती है। कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण को नहीं रोका गया तो तापमान में औसतन 4.4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी। इससे दो दशक के अंदर तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ेगा। अगर यह तापमान बरकरार रहेगा तो ग्लेशियर भी पिघलेंगे। इससे इनका पानी मैदानी और समुद्री इलाकों में तबाही मचा देगा।