चेन्नई। हिंदुस्तान में जब-जब सबसे तेज रफ्तार वाली ट्रेनों की बात होती है तो शताब्दी और राजधानी एक्सप्रेस का जिक्र होता है, लेकिन अब भारत की सबसे तेज रफ्तार की ट्रेन राजधानी या शताब्दी नहीं बल्कि ट्रेन-18 होगी, जो कि 160 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ती नजर आएगी। इसके अलावा शताब्दी और राजधानी में यात्रा के मुकाबले इस ट्रेन में 15 प्रतिशत समय की बचत होगी।
भारतीय रेलवे के इतिहास में ऐसा भी पहली बार हुआ है, जब कोई ट्रेन बिना इंजन के पटरियों पर दौड़ती नजर आएगी। 29 अक्टूबर यानि कि आज शाम 4 बजे के करीब इस ट्रेन का ट्रायल रन शुरू होगा, जो कि अगले 4 दिनों तक चलेगा। पहले ट्रायल के बाद ये ट्रेन RDSO (रिसर्च डिजाइन एंड स्टेंडर्ड ऑर्गनाइजेशन) को आगे के ट्रायल्स के लिए सौंप दी जाएगी। ट्रेन-18 को शताब्दी के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है। चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में बनी ये ट्रेन भारत की मोस्ट अवेटेड ट्रेनों में से एक है।
ट्रेन-18 कई अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है, जो कि यात्रियों के सफर को सुलभ बनाएगी। आइए जानते हैं इस ट्रेन का खासियत – इस ट्रेन का निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ स्कीम के तहत किया गया है। साथ ही ये ट्रेन अपना पहला सफर दिल्ली से भोपाल के बीच तय करेगी। ये देश की पहली सेमी-हाई स्पीड ट्रेन है।
– ट्रेन-18 का निर्माण चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्टरी में 100 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है। ट्रेन में अत्याधुनिक सुविधाओं की शुरूआत इसकी सीट से करते हैं, जो कि बैठने के साथ-साथ 360 डिग्री रोटेट भी हो सकती हैं। यात्री इस सीट पर बैठने के बाद चाहे जिस दिशा में खुद को घूमा सकते हैं।
– ट्रेन-18 फुली एसी है और इसके स्वचालित दरवाजे हैं। इसके अलावा वाईफाई, वैक्यूम टॉयलेट, सीसीटीवी कैमरे, जीपीएस सिस्टम से यात्रियों को हर तरह की सुविधा दी गई है। – इस ट्रेन में अभी 16 चेयर कार वाले कोच हैं। इसमें से दो एग्जिक्यूटिव चेयर कार जिसमें 56 यात्री के बैठने की सुविधा है। वहीं नॉन-एग्जिक्यूटिव चेयर कार के 14 कोच हैं, जिसमें 78 यात्री आराम से सफर कर सकते हैं। इसमें दिव्यांगों के लिए एक कोच में अलग से व्यवस्था की गई है।
– इस सेमी हाई-स्पीड ट्रेन में ऑटोमैटिक स्लाइडिंग दरवाजे हैं जो प्लैटफॉर्म के आने पर खुलेंगे। इसके अलावा इसमें टच-फ्री बाथरूम फिटिंग वाले जीरो डिस्चार्ज बायो-वैक्यूम टॉयलेट हैं। – पहले ये ट्रेन दिल्ली से भोपाल के बीच चलेगी, लेकिन बाद में इसे मुरादाबाद-बरेली सेक्शन पर 150 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलाया जाएगा। ट्रायल के बाद इसे कोटा और सवाई माधोपुर के बीच 160 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलाया जाएगा।
– साल 2018 में बनी ट्रेन का नाम ‘ट्रेन 18’ रखा गया है। इसी तरह रेलवे इसके अपग्रेड वर्जन पर भी काम कर रही है, ‘ट्रेन 20’ जिसे साल 2020 में लॉन्च किया जा सकता है।