Patrika Exclusive: ढाई दशक बाद पामेड़-तर्रेम मार्ग नक्सलियों के खौफ से आजाद, कभी हेलीकॉप्टर से जाता था जवानों का राशन
Patrika Exclusive: नक्सलियों की इजाजत के बगैर कोई दाखिल नहीं हो सकता था। वहां अब 25 साल के बाद सडक़ बन रही है। बीजापुर जिले की तर्रेम-पामेड़ सडक 25 साल बाद नक्सलियों के कब्जे से आजाद हो गई है।
Patrika Exclusive: @मो.इरशाद खान जहां कभी सिर्फ नक्सलियों की चलती थी, जहां नक्सलियों की इजाजत के बगैर कोई दाखिल नहीं हो सकता था। वहां अब 25 साल के बाद सडक़ बन रही है। बीजापुर जिले की तर्रेम-पामेड़ सडक 25 साल बाद नक्सलियों के कब्जे से आजाद हो गई है। फोर्स के जवानों ने रास्ता खुलवा दिया है और अब वे यहां सडक़ बनवा रहे हैं। पहले जब सडक़ पर नक्सलियों का कब्जा था तो पामेड़ थाने और कैंप तक जवानों का राशन हेलीकॉप्टर से पहुंचाया जाता था।
यह भी पढ़ें: CG Naxal News: ताड़मेटला कांड में शामिल 4 नक्सलियों ने किया सरेंडर, 8-8 लाख रुपए का था ईनाम जवानों को एयर लिफ्ट कर जिला मुख्यालय तक लाया जाता था। इस इलाके की पोस्टिंग को जवान सियाचिन जैसे इलाके की तैनाती से तुलना करते थे। अब सब कुछ यहां तेजी से बदल रहा है। यह इलाका दुर्दांत नक्सल कमांडर हिड़मा की बटालियन का है। इलाके के कोरागुट्टा में फोर्स का कैंप लगते ही तर्रेम होकर पामेड़ जाने वाले रास्ते को फिर से बहाल करा दिया गया है। इस मार्ग के खुल जाने से अब लोगों को पामेड़ पहुंचने के लिए तेलंगाना होकर जाने की बाध्यता खत्म हो जाएगी और सौ किलोमीटर का सफर भी कम हो जाएगा।
कोरागुट्टा इलाका नक्सलियों के पीएलजीए का कोर क्षेत्र कहलाता है। बीजापुर से तर्रेम, कोंडापल्ली होकर पामेड़ जाने वाले इस रास्ते पर पिछले 25 सालों से आवागमन बाधित था। इलाके के लोगों को पामेड़ पहुंचने के लिए तेलंगाना राज्य के चेरला होकर पामेड़ जाते थे। क्षेत्र के लोग 210 किलोमीटर की दूरी तय करके बीजापुर से पामेड़ पहुंचते थे।
सडक़ निर्माण में हर कदम पर मिल रही आईईडी और बूवी ट्रैप
नक्सलियों की सबसे ताकतवर बटालियन का गढ़ 25 बरस बाद अब फोर्स के कब्जे में आ चुका है। सडक़ को बहाल करने में फोर्स को काफी मशक्कत करनी पड़ी है। सडक़ पर हर कदम कदम पर प्रेशर आईईडी, बूबी ट्रेप और एंबुश का खतरा है। अब तक कई आईईडी को इस रास्ते से निकाला गया है।
चार दशक बाद लहराएगा तिरंगा
नक्सलियों की बटालियन के इलाके में चार दशक बाद तिरंगा लहराने जा रहा है। इस इलाके में बीते एक साल में जहां भी कैंप खुले हैं वहां पर फोर्स ग्रामीणों के साथ मिलकर गणतंत्र दिवस का जश्न मनाने की तैयारी कर रही है। बता दें कि इन इलाकों में पहले नक्सली लोकमंत्र के विरोध में काला झंडा फहराते हुए राष्ट्रीय पर्व का विरोध किया करते थे।
अभी चुनौतियां हैं, डटे हुए हैं हमारे जवान
बस्तर डीआईजी कमलोचन कश्यप ने कहा बीते चार दशक तक नक्सलियों का समूचे इलाके में प्रभुत्व रहा है। चुनौतियां अभी भी हैं और हमारे जवान इसका डटकर सामना कर रहे हैं। इंटर डिस्टीक्ट कॉरीडोर को पूरी तरह से नियंत्रण में लेने में वक्त लगेगा।
शांति बहाली के साथ ग्रामीणों का विश्वास भी जीत रहे
बीजापुर एसपी डॉ. जितेंद्र यादव ने कहा सरकार की पॉलिसी पर शांति बहाली के साथ काम हो रहा है। एफओबी के जरिए ना सिर्फ नियंत्रण स्थापित करने में हम कामयाब हो रहे हैं बल्कि मूलभूत सुविधाएं मुहैया करा कर ग्रामीणों का विश्वास भी जीत रहे हैं। यह बदलाव की बयार है। अब इलाकों के बाशिंदें भी नक्सलवाद की गलत नीतियों को समझ रहे हैं।
Hindi News / Bijapur / Patrika Exclusive: ढाई दशक बाद पामेड़-तर्रेम मार्ग नक्सलियों के खौफ से आजाद, कभी हेलीकॉप्टर से जाता था जवानों का राशन