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अंबिकापुर

Encroachment: महामाया पहाड़ से बेघर हुए लोगों ने निकाली रैली, मांगा पुनर्वास, पूर्व डिप्टी CM ने सोशल मीडिया पर लिखीं ये बातें

Encroachment: महामाया पहाड़ की वन भूमि पर वर्षों से अतिक्रमण कर रह रहे थे लोग, 60 परिवारों का मकान तोडऩे बुलडोजर लेकर पहुंचा था वन विभाग, 40 घर कर दिए थे जमींदोज

अंबिकापुरJan 21, 2025 / 08:16 pm

rampravesh vishwakarma

Encroachment

Rally in City

अंबिकापुर. शहर के महामाया पहाड़ स्थित वन भूमि पर अतिक्रमण (Encroachment) कर वर्षों से लोग 2-3 कमरों का कच्चा व पक्का मकान बनाकर रह रहे थे। सोमवार को वन विभाग द्वारा अतिक्रमण पर बुलडोजर चला देने से 60 परिवार के करीब 300 लोग बेघर हो गए। उन्हें कडक़ड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे टेंट में रात गुजारनी पड़ीं। कुछ समाज सेवियों ने बेघर परिवारों के राशन, पानी व ठंड से बचने अलाव की व्यवस्था की है।
वहीं मंगलवार को बेघर हुए लोगों ने पुनर्वास व आर्थिक सहायता की मांग को लेकर शहर में रैली निकाली। वे कलेक्टोरेट पहुंचे और अधिकारी के समक्ष अपनी समस्याएं रखीं। इधर पूर्व डिप्टी सीएम ने सोशल मीडिया पर बेघर परिवारों को लेकर चिंता व्यक्त की।
महामाया पहाड़ पर अतिक्रमण (Encroachment) की कार्रवाई के बाद बेघर हुए लोगों ने नवागढ़ स्थित एक खुले मैदान में शरण लिया है। वहां का नजारा किसी आपदा से प्रभावित लोगों जैसा दिखाई दे रहा है। लोगों का सारा सामान खुले आसमान के नीचे पड़ा हुआ है। कडक़ड़ाती ठंड में लोग मैदान में खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं।
Mahamaya pahad
Homeless people
दिन तो किसी तरह कट जा रहा है लेकिन कडक़ड़ाती ठंड में रात का समय गुजारना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है। हालात को देखते हुए कुछ समाजसेवियों ने टेंट व खाने-पीने की व्यवस्था की है। सामूहिक भोजन की व्यवस्था की गई है। विशेष परेशानी छोटे बच्चों व बुर्जुगों को हो रही है।
देर रात तक लोगों ने अलाव के पास बैठकर रातें गुजारीं। बेघर हुए लोगों ने बताया कि हमारे आशियाने को उजाडऩे के बाद अधिकारी हमारी सुध लेने (Encroachment) तक नहीं पहुंचे। वहीं 2 दिनों से बच्चे स्कूत तक नहीं गए हैं।

‘पुनर्वास व आर्थिक मदद की मांग’

बेघर हुए लोगों ने पुनर्वास व आर्थिक सहायता की मांग को लेकर मंगलवार को रैली निकाल कलेक्ट्रेट पहुंचे। रैली में करीब 200 लोग शामिल हुए। आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण पुलिसकर्मियों ने उन्हें कलेक्टोरेट में प्रवेश करने से रोक दिया।
Encroachment
Rally in City
इस दौरान प्रभावित लोगों के एक प्रतिनिधिमंडल ने एसडीएम से मिलकर उचित राहत देने की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा है। एसडीएम फागेश सिन्हा का कहना है कि जो भी कार्रवाई हुई है, वह वन विभाग द्वारा की गई है, ऐसे में वन विभाग को प्रभावित लोगों को राहत देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ज्ञापन में प्रभावित लोगों ने अटल आवास सहित अन्य सुविधा की मांग की है, इसके लिए वे उच्च अधिकारियों को अवगत कराएंगे।

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सोशल मीडिया पर पूर्व डिप्टी सीएम ने लिखीं ये बातें

पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने सोशल मीडिया X पर लिखा कि मां महामाया पहाड़ का संरक्षण एवं संवर्धन हम सबकी नैतिक प्राथमिकता है लेकिन अतिक्रमण (Encroachment) पर जो राजनीति चल रही है और उसे साम्प्रदायिक रूप देने का प्रयास चल रहा है। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है और हमें मुख्य उद्देश्य से भटकाता है।
भाजपा द्वारा यही चेष्टा पहले भी कांग्रेस की सरकार के दौरान की गई थी कि महामाया पहाड़ पर रोहिंग्या लोग बस गए हैं, जिसके बाद 2022 में जिला कलेक्टर ने क्षेत्र का सर्वेक्षण कर अपनी रिपोर्ट जारी की थी।
रिपोर्ट के अनुसार पहाड़ पर ज्यादातर अतिक्रमण (Encroachment) भाजपा के राज में 2007-2016 के बीच हुआ था, जब राज्य और निगम दोनों में भाजपा का शासन था। इसके साथ यह भी पता चला कि ज्यादातर परिवार छत्तीसगढ़ के सीमांत क्षेत्रों बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के हैं। इनमें 160 छत्तीसगढ़ से, 40 झारखंड से, 25 बिहार से और शेष मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों से थे। इनमें रोहिंग्या लोगों के होने की कोई जानकारी नहीं थी।
मां महामाया पहाड़ और वन क्षेत्र अंबिकापुर के फेफड़े हैं। इसका संरक्षण सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। वन और रेवेन्यू क्षेत्र का सीमांकन किया जाए, वन क्षेत्र से निवास अतिक्रमण हटाया जाए, जो रेवेन्यू अतिक्रमण हैं उनका पुनर्वास किया जाए और न्यायपूर्ण एवं मानवीय तरीके से कार्रवाई की जाए।
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Encroachment: 60 परिवार हुए बेघर

पहले चरण में वन विभाग द्वारा सोमवार को 60 घरों अतिक्रमण (Encroachment) हटाने की कार्रवाई की जा रही थी। इस दौरान अधिकांश लोगों ने स्वयं ही अपने-अपने घरों से एसबेस्टस शीट, खिडक़ी-दरवाजे सहित अन्य सामान निकालकर घर को खाली कर दिया था।
Mahamaya pahad
Homeless people
वहीं दोपहर करीब 1 बजे तक लगभग 40 घरों पर बुलडोजर चल चुका था। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई रोक दी गई। इसके लिए हाईकोर्ट ने 5 दिनों का समय दिया है। शेष 20 घर भी खंडहर हो चुके हैं।

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