बता दें कि हिंदू धर्म में गुरु को ईश्वर से भी ऊंचा स्थान दिया गया है। जीवन में पूर्णता की प्राप्ति के लिए गुरुओं का आशीर्वाद आवश्यक माना गया है। बता दें कि महर्षि वेद व्यास संस्कृत के महान विद्वान थे। महाभारत जैसा महाकाव्य उनके द्वारा ही लिखा गया था। इसके अलावा 18 पुराणों के रचयिता भी महर्षि वेदव्यास ( Maharshi Vedvyas ) ही माने जाते हैं। साथ ही वेदों को विभाजित करने का श्रेय भी इन्हीं को दिया जाता है।
जानिए कितने प्रकार के होते हैं चंद्रग्रहण, इंसान पर सबसे ज्यादा प्रभाव किसका होता है? गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा ( Vyas Purnima ) के नाम से भी जाना जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुओं की पूजा करने का विशेष महत्व है। पुराने समय में गुरुकुल में रहने वाले छात्र गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरुओं की विशेष पूजा-अर्चना किया करते थे। इस दिन केवल गुरु ही नहीं बल्कि घर में अपने बड़ों जैसे माता-पिता, भाई-बहन आदि का आशीर्वाद लिया जाता है।
पूजा विधि ( Method of worship ) गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद घर के मंदिर में किसी चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाएं। इसके बाद गुरु परंपरा सिद्धयर्थं व्यास पूजां करिष्ये मंत्र का जाप करें। फिर अपने गुरु या उनकी प्रतिमा की कुमकुम, अबीर, गुलाल आदि से पूजा करें। उन्हें मिठाई, ऋतुफल, सूखे मेवे, पंचामृत का भोग लगाएं।
अगर गुरु आपके सामने हैं तो सबसे पहले उनके चरण धोएं फिर उन्हें तिलक लगाएं और फूल-माला अर्पण करें। इसके बाद उन्हें भोजन कराएं। इसके बाद दक्षिणा देकर उनके पैर छूकर उन्हें विदा करें।
Weather Forecast : दिल्ली-एनसीआर में हुई झमाझम बारिश, तापमान और उमस से मिली राहत शुभ मुहूर्त ( Auspicious Time) गुरु पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 4 जुलाई, 2020 को सुबह 11 बजकर 33 मिनट पर हुआ था। गुरु पूर्णिमा की तिथि की समाप्ति 5 जुलाई, 2020 को सुबह सवा 10 तक है। पूजन कार्यक्रम सुबह में शुरू कर उसे दिनभर जारी रखा जा सकता है।
गुरु की पूजा के लिए मंत्र ( Mantra for Guru worship ) 1. ॐ गुरुभ्यो नम:। 2. ॐ गुं गुरुभ्यो नम:। 3. ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:। 4. ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्। यही वह मंत्र हैं जिनसे गुरु का स्मरण करने से पूर्णता प्राप्त होती है।