हालांकि, सुप्रीम कोर्ट आज अदालत की अवमानना का दोषी पाए गए प्रशांत भूषण को सजा देने पर सुनवाई टाले जाने की याचिका पर विचार कर रहा है। प्रशांत की अर्जी खारिज इस बीच वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा है कि वो इस बात को लेकर हैरान हैं कि जिस शिकायत के आधार पर उन्हें दोषी ठहराया गया है वो उन्हें अदालत की तरफ से नहीं दी गई। इसलिए उन्होंने बहस टालने और रिव्यू पिटीशन ( Review petition ) लगाने का मौका देने की अर्जी लगाई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अर्जी खारिज कर दी। भूषण ने कहा था कि पुनर्विचार याचिका दायर होने और उस पर विचार होने तक कार्यवाही टाली जाए।
जानिए National Recruitment Agency कैसे देगी देश में भर्ती प्रक्रिया को नया रंग-रूप जुर्माना भरने के लिए तैयार कार्यवाही टालने को लेकर याचिका खारिज होने के बाद प्रशांत भूषण ने लाइव लॉ को बताया कि मेरे ट्वीट में ऐसा कुछ भी नहीं था। ये एक नागरिक के रूप में अपने कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए किए गए प्रयास थे। मैंने सोच समझ के साथ ये ट्वीट किए थे।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में महात्मा गांधी के कथन को दोहराते हुए कहा कि मैं दया की भीख नहीं मांगूंगा। मैं उदारता दिखाने की अपील भी नहीं करूंगा। अदालत जो सजा देगी उसे खुशी-खुशी स्वीकार कर लूंगा।
लोकतंत्र की खुली आलोचना जरूरी गुरुवार को प्रशांत ने कहा कि मेरा मानना है कि संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा के लिए किसी भी लोकतंत्र में खुली आलोचना ( Open criticism ) आवश्यक है। संवैधानिक व्यवस्था ( Constitutional system ) को बचाना व्यक्तिगत या व्यावसायिक हितों के बारे में आना चाहिए। मेरे ट्वीट मेरे सर्वोच्च कर्तव्यों में एक छोटे से प्रयास थे।
Sero Survey-2 : कोरोना स्प्रेड का खतरा हुआ कम, 29% दिल्लीवालों में मिले इसके ऐंटीबॉडीज गलत काम करने को कह रहे हैं भूषण बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को प्रशांत भूषण की इस अपील को खारिज कर दिया कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही में सजा तय करने संबंधी दलीलों की सुनवाई शीर्ष अदालत की दूसरी पीठ द्वारा की जाए। न्यायाधीश अरुण मिश्रा की अगुआई वाली पीठ ने भूषण को भरोसा दिलाया कि जब तक उन्हें अवमानना मामले में दोषी करार देने के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर निर्णय नहीं आ जाता, सजा संबंधी कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
14 अगस्त को अदालत ने भूषण को अवमानना का दोषी माना था न्यायाधीश अरुण मिश्रा की पीठ ने भूषण के वकील दुष्यंत दवे से कहा कि वह न्यायालय से गलत काम करने को कह रहे हैं कि सजा तय करने संबंधी दलीलों पर सुनवाई कोई दूसरी पीठ करे। गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने न्यायपालिका के खिलाफ भूषण के दो अपमानजनक ट्वीट को लेकर उन्हें 14 अगस्त को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था।