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Nirbhaya Rape Case: दोषी अक्षय की याचिका पर किसी भी वक्त आ सकता है सुप्रीम फैसला

Nirbhaya Rape Case Hearing in Supreme Court
दोषी अक्षय ठाकुर ( Akshay Thakur ) के वकील ने कहा फांसी ना दी जाए, दिल्ली वैसे ही प्रदूषण है
वकीलः अब तक कई दोषियों की फांसी लंबित तो इस केस में जल्दी क्यों?

Dec 18, 2019 / 01:08 pm

धीरज शर्मा

नई दिल्ली। निर्भया रेप मामले ( Nirbhaya rape case ) में चार दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर ( Convicted Akshay Thakur ) की रिव्यू पिटीशन ( Review Ptition ) पर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने अपना फैसला सुना दिया है।
इससे पहले दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह ने कहा कि जब देश मे इतने लोगों की फांसी लंबित है दया याचिका दाखिल होने के बाद भी तो उनको ही लटकाने की जल्दी और हड़बड़ी क्यों? ये प्रेशर में हो रहा है।
वकील ने मुख्य गवाह अमरिंदर पांडे पर सवाल उठाया और कहा कि मामले में उनके सबूत और प्रस्तुतियां अविश्वसनीय हैं। आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने बहस के लिए सभी पक्षों को 30-30 मिनट का समय दिया है।
वहीं चीफ जस्टिस अरविंद बोबड़े ( chief justice ) इस सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। इसलिए जस्टिस भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की।

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इन सवालों से किया बचाव
दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह ने TIP यानी टेस्ट इन परेड को लेकर भी सवाल उठाए। जस्टिस भानुमति ने कहा कि इस पॉइंट को ट्रायल में कंसीडर किया गया था? सिंह ने कहा कि नहीं, ये नया फैक्ट है। वकील ने वेद-पुराणों का भी अपनी जिहर में जिक्र किया। साथ ही ये भी कहा कि गरीबी की वजह से दोषियों को फांसी दी जा रही है।
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यही नहीं अक्षय के वकील ने जांच पर भी सवाल उठाए। अक्षय के वकील ने तिहाड़ के जेलर सुनील गुप्ता की किताब का जिक्र करते हुए राम सिंह की आत्महत्या पर भी सवाल उठाया।
वहीं जस्टिस बोपन्ना इस दलील पर जवाब देते हुए कहा कि ट्रायल के बाद अगर कोई किताब लिखे तो ये खतरनाक ट्रेंड है। ट्रायल के दौरान कहने वाली बात को बाद में लिखने का कोई मतलब नहीं।
आपको बता दें कि पीठ के अन्य सदस्य जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस बोपन्ना है। फांसी की सजा पाए चारों आरोपियों में से एक अक्षय ठाकुर ने सर्वोच्च अदालत से रहम की गुहार लगाई है।
कल सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम में निर्भया के पैरंट्स भी सुनवाई के दौरान मौजूद रहे। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने 10 मिनट की सुनवाई के बाद इसे टाल दिया था।

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