दरअसल, पिछले नौ सालों से अटल बिहारी वाजपेयी व्हीलचेयर पर हैं। इसके बिना उनके जिंदगी की कल्पना करना अब संभव नहीं है। वह इन दिनों किडनी में संक्रमण, छाती में संकुलन और पेशाब कम होने, किडनी की परेशानी, डिमेंशिया से पीडि़त हैं। इनमें से डिमेंशिया की वजह से वो ज्यादा परेशान हैं। ऐसा इसलिए कि डिमेंशिया की वजह से वह किसी को पहचान तक नहीं पाते। मतिभ्रम की स्थिति बनी रहती है। इन बीमारियों की वजह से वह 11 जून से दिल्ली के एम्स में भर्ती हैं। एम्स के डॉयरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही है। वाजपेयी एम्स के कॉर्डियो न्यूरो सेंटर में भर्ती हैं। मंगलवार को उनकी स्थिति पहले से ज्यादा बिगड़ गई और उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया है।
दरअसल, डिमेंशिया किसी खास बीमारी का नाम नहीं है बल्कि यह एक लक्षण है जो किसी अन्य रोग के कारण हो सकता है। डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति अपने दैनिक कार्य ठीक से नहीं कर पाता है। इससे पीडि़त व्यक्तियों की याद्दाश्त कमजोर हो जाती है। यही कारण है कि जब डिमेंशिया उन पर हावी होता है तो वो अपनों तक को पहचानना भूल जाते हैं। कभी-कभी वे यह भी भूल जाते हैं कि वे किस शहर में हैं, या कौन सा साल या महीना चल रहा है। शब्दों के बाजीगरी करने वाले वाजपेयी बोलते हुए सही शब्द चयन भी नहीं कर पाते। उनका व्यवहार बदला बदला सा लगता है और व्यक्तित्व में भी फर्क आ सकता है। लेकिन इस बार उन पर डिमेंशिया सहित किडनी और छाती में संकुलन जैसी समस्याएं भी हावी हो गई हैं।
डिमेंशिया के 60 से 80 प्रतिशत केस अल्जाइमर के होते हैं। डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति के मूड में भी बार-बार बदलाव आता रहता है। डिमेंशिया के बढ़ने के साथ ही कुछ लोग ऐसा व्यवहार करने लगते हैं जो बिल्कुल ही अलग होता है जैसे एक ही प्रश्न को बार-बार पूछना, गुस्सा करना, जल्दी परेशान हो जाना आदि। यह लक्षण 65 वर्ष की आयु से अधिक वाले लोगों में ज्यादा सामान्य है।
– व्यवहार में गंभीर बदलाव
– चीजों को रखकर भूल जाना
– नाम, स्थान, तुरंत की गई बातचीत को याद रखने में परेशानी
– अवसाद से पीड़ित होना
– संवाद स्थापित करने व बात करने में दिक्कत होना
– व्यवहार में बदलाव आना
– खाने की चीज निगलने में दिक्कत होना
– निर्णय लेने की क्षमता का प्रभावित होना