scriptपॉक्सो एक्ट लाने वाले जस्टिस जेएस वर्मा भी नहीं चाहते थे रेप के बदले फांसी | Justice JS Verma Against death penalty of Rape in 2013 after Nirbhaya | Patrika News
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पॉक्सो एक्ट लाने वाले जस्टिस जेएस वर्मा भी नहीं चाहते थे रेप के बदले फांसी

जस्टिस जेएस वर्मा ने रेप के बदले फांसी की सजा को लेकर कहा था कि अगर ऐसा हुआ तो देश पीछे चला जाएगा। ऐसा हुआ तो इसका असर भी देखने को नहीं मिलेगा।

Apr 22, 2018 / 12:35 pm

Kapil Tiwari

Justice J.S Verma

Justice J.S Verma

नई दिल्ली। देश में लगातार बढ़ रही रेप की घटनाओं और उनके खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सबसे सख्त कानून देश में लागू हो गया है। रविवार को राष्ट्रपति ने रामनाथ कोविंद ने भी उस अध्यादेश पर मुहर लगा दी है, जिसमें 12 साल से कम उम्र के नाबालिगों के साथ दुष्कर्म पर फांसी की सजा सुनाई जाएगी। आपको बता दें कि शनिवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता में उनके आवास पर हुई एक हाईलेवल मीटिंग में इस अध्यादेश पर कैबिनेट की सहमति बनी थी।
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जस्टिस जेस वर्मा ने मौत की सजा का किया था विरोध
इस अध्यादेश को लेकर कहीं समर्थन तो कहीं विरोध है, क्योंकि रेप की सजा फांसी होने को लेकर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। वैसे आपको बता दें कि 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया गैंगरेप कांड के बाद से ही कड़े कानून की मांग उठी थी और उस समय ऐसे जघन्य अपराधों को लेकर सरकार ने पॉक्सो एक्ट लागू किया था और इसमें कड़ी सजा का प्रावधान भी किया था। बता दें कि ये कानून 2013 में जस्टिस जेएस वर्मा के नेतृत्व में बनी कमिटी की सिफारिशों के आधार पर बनाया गया था।
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रेप की सजा मौत हुई तो देश पीछे चला जाएगा- जेएस वर्मा
निर्भया गैंगरेप के समय भी रेप की सजा फांसी होने पर कई जगहों से इसके विरोध में आवाज उठी थीं। खुद निर्भया कानून बनाने वाले जस्टिस जेएस वर्मा ने रेप के बदले मौत की सजा दिए जाने का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि अगर ऐसा होता है तो ये देश को पीछे ले जाने वाला होगा। यही नहीं जस्टिस वर्मा ने मौत की सजा को लेकर कहा था कि इसका बहुत असर भी देखने को नहीं मिलता है।
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अंतरराष्ट्रीय कानून और अमरीकी अदालतों के फैसलों का दिया था उदाहरण
एक अखबार की खबर के मुताबिक, उस वक्त जस्टिस जेएस वर्मा के नेतृत्व वाले पैनल ने अंतरराष्ट्रीय कानूनों और अमरीकी अदालतों के कुछ फैसलों का उदाहरण देते हुए कहा था कि मौत की सजा शुरू करना पीछे ले जाने वाला कदम होगा क्योंकि यह जघन्यतम अपराधों के लिए ही तय की गई है।
फांसी की सजा वाले अपराधों में फिर भी कमी नहीं आती
इस पैनल में वर्मा के अलावा हाई कोर्ट के पूर्व जज लीला सेठ, पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यन भी शामिल थे। वर्मा कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि दुनिया भर में मौत की सजा से गंभीर अपराधों में कमी आना सिर्फ एक मिथक है। तमाम महिला संगठनों और स्कॉलर्स के विचारों को ध्यान में रखते हुए वर्मा कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि वह जघन्यतम अपराधों में मौत की सजा के विरोध में नहीं हैं।

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