जम्मू-कश्मीर: हिरासत में रखे गए नेताओं के साथ ऐसा हो रहा व्यवहार, नहीं मिल रही कोई VIP सुविधा
40 से ज्यादा पूर्व मंत्रियों को रखा गया है हिरासत में
अपनी मर्जी का खाना खाने के लिए नेताओं को देने पड़ते हैं पैसे
जम्मू-कश्मीर के कई बड़े नेता भी हैं हिरासत में
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद घाटी में तनाव बना हुआ है। करीब 50 से ज्यादा नेताओं को अब भी हिरासत में रखा गया है, इनमें 40 पूर्व मंत्री भी शामिल हैं।
ज्यादातर नेताओं को श्रीनगर के डल झील के किनारे शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में रखा गया है। आलम ये है कि इन नेताओं को कोई भी VIP सुविधा नहीं मिल रही है। जानकारी के मुताबिक, जिन नेताओं को हिरासत में लिया गया है उनमें नेशनल कांफ्रेंस के नेता अली मोहम्मद सागर, अब्दुल रहीम राथर, मुबारक गुल, अल्ताफ कल्लू, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नईम अख्तर, अब्दुल रहमान वीरी, सरताज मदनी, पीरजादा मंसूर, खुर्शीद आलम, फारूक इंद्राबी, पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद लोन, इमरान अंसारी, शेख इमरान, जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट के हिलाल राथर और शाह फैसल समेत कई अन्य नेता शामिल हैं।
पढ़ें- जम्मू-कश्मीर पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, येचुरी को मिली जाने की मंजूरी इन नेताओं को बहुत सामान्य सुविधाएं दी जा रही हैं। बताया जा रहा है कि ऊपर से सख्त आदेश है कि सभी को शाकाहारी भोजन दिया जाए। अगर वे अपनी मर्जी का कोई खाना खाना चाहते हैं तो उन्हें उसके लिए अलग से पैसे देने पड़ते हैं।
सभी को मेस में एक साथ खाने का नियम बना हुआ है। नेताओं को मनोरंजन का कोई साधन हीं दिया गया है। ये लोग केवल कांप्लेक्स के लॉन में सैर करते हैं और नमाज अता करते हैं। एक सुरक्षाकर्मी का कहना है कि परिजनों को नेताओं से मिलने की इजाजत दी जाती है, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाता है कि उनसे मिलने के लिए वहां पर भीड़ न लगाएं। किसी को भी फोन की सुविधा नहीं दी गई है।
पढ़ें- आर्टिकल 370 हटाने पर केन्द्र सरकार को SC का नोटिस, 7 दिनों के अंदर मांग जवाब इधर, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और एनसी प्रमुख फारूक अब्दुल्ला को गुपकार रोड स्थित आवास पर नजरबंद किया गया है। वहीं, बीमार चल रहे माकपा के नेता मोहम्मद यूसुफ तारीगामी को भी गुपकार रोड स्थित उनके निवास पर नजरबंद किया गया है।
इसके अलावा एनसी नेता उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को भी हिरासत में रखा गया है। हालांकि, राज्यपाल ने उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को सशर्त रिहाई का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने उसे ठुकरा दिया।