वर्ष 2004 में मुंबई में व्यापार संघों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की बैठक हुई। उसमें अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाने का फैसला किया गया। पहली बार अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस 15 दिसंबर, 2005 को मनाया गया था। चाय बागानों की मजदूरों की हालत व व्यापार को बढ़ाने के लिए 2005 से लेकर 2019 तक 15 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस के रूप में बनाया जाता था, लेकिन भारत के आग्रह पर संयुक्त राष्ट्र ने 21 मई को अब अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस के रूप में मान्यता दे दी है ।
इस दिन को आयोजित करने का मकसद दुनियाभर में फैले चाय के शौकीनों की अहमियत के बारे में बताना है। इसके साथ ही यूएन की तरफ से इस दिन के आयोजन का मकसद चाय की खेती में लगे किसानों को पहचान दिलाना भी है।
चाय पीने की शुरुआत चीन से 10वीं सदी में हुई मानी जाती है। इसके बाद चाय भारत पहुंची और हर घर की जान बन गई है। लेकिन दुनिया की सबसे महंगी चाय की बात करें तो इसकी कीमत सोने की कीमत से 30 गुना महंगी बताई जाती है।
वर्ष 2002 में चीन की चाय की कीमत ने लोगों के होश उड़ा दिए थे। ‘दा-होंग’ और ‘दा-होंग पाओ’ की कीमत सुनकर हर कोई चौंक गया था। इसका एक घूंट यानी सिप 9 करोड़ रुपए का था।
साल 2002 में एक अमीर व्यवसायी ने इस चाय की 20 ग्राम मात्रा खरीदने के लिए 28, 000 डॉलर अदा किए थे।
चीन के एक छोटे से शहर फूजियान के वूईसन एरिया में पाई जाने वाली चाय सेहत के लिहाज से काफी लाभदायक मानी जाती है। एक खास पेड़ से तैयार ‘दा-होंग पाओ’ टी को जीवनदायनी भी माना जाता है, जिसकी वजह से इसकी कीमत सोने से भी ज्यादा है।
– 01 ग्राम दा-होंग पाओ की कीमत 1400 डॉलर
– 01 पॉट दा-होंग पाओ की कीमत 10,000 डॉलर से ज्यादा
– 1500 साल पुराना है चीन में चाय का इतिहास
-300 साल तक दा-होंग पाओ चाय का पेड़ पहाड़ों पर पाया जाता था
– 2005 में इसका आखिरी पेड़ भी नष्ट हो गया
1. चाय- सिर दर्द का…
“राष्ट्रीय इलाज” हैं
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2. यूं मुझपे अपनी नजरों का कहर न ढाओ
सुबह हो गयी है थोड़ी सी चाय लेते आओ
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3. चाय भी इश्क जैसी है
जिसकी आदत पड़ गयी
वो कभी छुटती ही नहीं
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4. चाय के कप से उठते हुए धुँए में
मुझे तेरी शक्ल नजर आती है,
तेरी इन्ही खयालो में खो कर
अक्सर मेरी चाय ठंडी हो जाती है
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5. जलाकर अपना कलेजा चाय को बांहों में भरता है,
कुल्हड़ जैसा इश्क भला कौन करता है।