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राम जन्मभूमि का ताला खुलवाने वाले जज की कई सालों तक रोक दी गई थी प्रमोशन

जज केएम पांडेय की हाईकोर्ट की प्रमोशन रुक गई थी
केन्द्र में सरकार बदली तब दोबारा उनके प्रोन्नति की फाइल मंजूर हुई

Nov 08, 2019 / 12:57 pm

Mohit Saxena

ayodhya
नई दिल्ली। अयोध्या राम जन्मभूमि मुकदमें की शुरुआती अहम घटना एक फरवरी 1986 को ताला खुलना था। फैजाबाद के तत्कालीन जिला जज कृष्ण मोहन पांडेय ने फैजाबाद प्रशासन को राम जन्मभूमि का ताला खोलने का आदेश दिया था। उन्होंने यह फैसला इसलिए दिया, ताकि श्रद्धालु रामलला के दर्शन और पूजा कर सकें।
इस आदेश को देने वाले जज केएम पांडेय की हाईकोर्ट की प्रमोशन रुक गई थी। करीब एक साल तक मामला लटके रहने के बाद जब केन्द्र में सरकार बदली तब दोबारा उनके प्रोन्नति की फाइल मंजूर हुई और वह हाईकोर्ट के न्यायाधीश बने थे।
प्रमोशन लंबे समय तक लटकी रही

जस्टिस पांडेय फैजाबाद के जिला जज थे। बाद में वरिष्ठता को देखते हुए न्यायपालिका की ओर से उन्हें हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की गई। इसके बाद 1988 से लेकर जनवरी 1991 तक उनका नाम लटका रहा। उन्हें प्रमोशन नहीं दी गई। इस बारे में 13 सिंतबंर 1990 को विश्व हिन्दू परिषद अधिवक्ता संघ की ओर से महासचिव हरिशंकर जैन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और केएम पांडेय को हाईकोर्ट प्रोन्नत का आदेश दिया। इस याचिका में जैन के अलावा दस अन्य वकील भी याचिकाकर्ता थे।
मुलायम सिंह ने नोट लिखकर की थी आपत्ति

याचिका में साफ तौर पर आरोप है कि उस समय के उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह ने फाइल पर एक नोट लिखकर पांडेय की प्रोमोशन को रोक दिया था। उन्होंने पांडेय को हाईकोर्ट के जज बनाने पर आपत्ति जाहिर की थी। उनकी सिफारिश करने से इनकार दिया था।
याचिका में मुलायम सिंह के कथित नोट में दावा किया है कि उसमें कहा गया था कि ‘पांडेय जी सुलझे हुए ईमानदार एवं कर्मठ न्यायाधीश हैं, फिर भी 1986 में राम जन्मभूमि का ताला खुलवाने का आदेश देकर उन्होंने साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति पैदा की थी, लिहाजा मै उनके नाम की संस्तुति नहीं करता।’
उस समय केन्द्र में वीपी सिंह की सरकार थी। याचिका में दिये गए ब्योरे को देखा जाए तो कई बार जज पांडेय की हाईकोर्ट प्रमोशन की न्यायपालिका की ओर से सिफारिश हुई लेकिन उनका नाम लटका रहा। याचिका लंबित थी कि तभी केन्द्र में सरकार बदल गई।
नई सरकार चंद्रशेखर की आयी जिसमें सुब्रमण्यम स्वामी केन्द्रीय कानून मंत्री बने। स्वामी ने केएम पांडेय को इलाहाबाद हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने को मंजूरी दी और उसके बाद 24 जनवरी 1991 को कृष्ण मोहन पांडेय इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश बने, एक महीने के अंदर उनका मध्य प्रदेश हाईकोर्ट स्थानांतरण कर दिया गया जहां वे चार साल न्यायाधीश रहने के बाद 28 मार्च 1994 को सेवानिवृत हुए।
केएम पांडेय का निधन हो चुका है। उनके पुत्र रमेश पांडेय बताते हैं कि एक दिन सुब्रमण्यम स्वामी का फोन उनके पिता को आया जिसमें स्वामी ने कहा कि आइ वांट टु डू जस्टिस टु द जस्टिस। इसके बाद उनके पिता की हाईकोर्ट प्रमोशन हो गई। प्रमोशन से पहले उनके पिता राज्य ट्रांसपोर्ट अपीलाट ट्रिब्यूनल के चेयरमैन थे।

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