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Delhi Violence: जानिए कर्फ्यू किस बला का नाम है, लागू होने पर किन-किन गतिविधियों पर लग जाता है ब्रेक?

नाॅर्थ-ईस्ट दिल्ली के कई इलाकों में कर्फ्यू जारी
स्थिति को काबू में रखने के लिए सुरक्षा बलों का फ्लैग मार्च
सुरक्षा बलों व नागरिक पुलिस के पास फायरिंग का होता है अधिकार

Feb 26, 2020 / 12:55 pm

Dhirendra

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नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून ( CAA ) फिलहाल हिंसक प्रदर्शन की वजह से नाॅर्थ-ईस्ट दिल्ली का जाफराबाद, मौजपुर, चांद बाग और करावल नगर सुर्खियों में है। इन स्थानों पर फायरिंग, आगजनी और पत्थरबाजी की वजह से मंगलवार देर शाम से कर्फ्यू ( Curfew ) लगा दिया गया है। दंगाईयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि कर्फ्यू क्या होता और इसे क्यों लागू किया जाता है। साथ ही कर्फ्यू के दौरान लोगों को किनकृकिन पाबंदियों का सामना करना पड़ता है। आइए हम आपको इसके बारे में देते है विस्तृत जानकारी।
अकसर आम जिंदगी में कर्फ्यू शब्द सुनने को मिल ही जाता है। कही पर कुछ दंगे होने के बाद उस क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया जाता है। वहीं कभी ये भी सुनने को आता है की उस इलाके में ब्तच्ब् की धारा 144 लगा दी गई है। जब लोगों का एक समूह सार्वजनिक शांति भंग (Public unrest ) करने के इरादे से इकट्ठा होता है, तो ऐसे समूह को गैर-कानूनी समूह के रूप में जाना जाता है। ऐसी प्रक्रियाओं को रोकने के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता ( Crpc ) की धारा 144 और कर्फ्यू जैसे प्रावधानों का उपयोग किया जाता है।
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क्या होता है कर्फ्यू?

फ्रेंच में कर्फ्यू का मतलब होता है आग का कवर। बाद में यह शब्द इंग्लैंड जा पहुंचा। यहां पर इसे क्यूबरफ्यू कहा गया। यही क्यूबरफ्यू आज कर्फ्यू के तौर पर दुनिया भर में जाना जाता है। माना जाता है कि कर्फ्यू की शुरुआत 16वीं सदी में हुई थी। इंग्लैंड के राजा विलियम द कांगकरर ने रात आठ बजे से चर्च की घंटियां बजाने का आदेश दिया था। यानि कर्फ्यू एक आदेश की तरह होता है। सा‍माजिक सुरक्षा को बनाए रखने के लिए कर्फ्यू लगाया जाता है।
भारत में कर्फ्यू एक ऐसा आदेश है जिसके तहत एक निश्चित समय के बाद कुछ प्रतिबंधों को लागू कर दिया जाता है। सरकार की ओर से एक आदेश जारी कर लोगों को एक तय समय पर उनके घर लौटने को कहा जाता है।
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कर्फ्यू का इतिहास

राष्ट्रवादी प्रदर्शनों पर शिकंजा कसने के लिए ब्रिटिश शासन में इसका बार-बार इस्तेमाल किया गया। गांधीजी जी इस कानून का उल्लंघन करके चंपारण सत्याग्रह को अंजाम दिया था। लेकिन धारा 144 न सिर्फ आजादी के बाद जारी रही बल्कि इसका इस्तेमाल भी खूब होता आ रहा है।
कहा जाता है कि ईएफ देबू नाम के एक अफसर धारा 144 के शिल्पकार थे। उन्होंने ही इसके नियम बनाए थे और बड़ौदा स्टेट में 1861 में पहली बार इसका इस्तेमाल किया गया था। इसके इस्तेमाल से बड़ौदा स्टेट में अपराध पर काफी काबू पाया जा सका था। अफसर देबू को बड़ौदा के महाराजा गायकवाड़ ने स्वर्ण पदक से भी सम्मानित किया था।
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डीएम देता है आदेश

किसी भी जिले के अधिकारी की जिम्मेदारी होती है कि वह जिले में सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखे। उसके पास कई तरह की शक्तियां होती है। कभी-कभी वह इन शक्तियों का प्रयोग शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए करता है। ऐसे में पुलिस बल उसके लिए सबसे अहम साधन साबित होता है।
144 का आदेश अलग कैसे

डीएम सीआरपीसी की धारा 144 के तहत पहले अशांति की आशंका के मद्देनजर कुछ प्रतिबंधों को लागू करता है। अराजकता की स्थिति होने पर डीएम कर्फ्यू का ऐलान कर सकता है। डीएम के पास यह अधिकार होते हैं कि वह ऑफिसों और जरूरी सरकारी कार्यलयों का निरीक्षण इस दौरान कर सकता है।
फायरिंग तक का होता है अधिकार

किसी भी मजिस्ट्रेट या फिर पुलिस ऑफिसर जो सब इंस्पेनक्टर की रैंक से नीचे का न हो, उसके पास उस संगठन या फिर उस व्यक्ति पर फायरिंग का अधिकार होता है जो कर्फ्यू के दौरान कानून व्यवस्था को खराब करने की कोशिश कर रहा हो। किसी भी पुलिसकर्मी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए राज्य सरकार की अनुमति जरूरी होती है।
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कर्फ्यू के दौरान प्रतिबंध

– कर्फ्यू के दौरान घर से निकलने पर भी पाबंदी होती है। इन दिनों जब से इंफॉर्मेशन टेक्नोूलॉजी का क्रेज बढ़ा है तो इंटरनेट और मोबाइल के प्रयोग को भी प्रतिबंधित किया जाने लगा है। स्थिति में सुधार होने पर डीएम कर्फ्यू में कुछ घंटों की ढील का ऐलान करता है।
– बिना किसी सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना कोई भी व्यक्ति अनशन, प्रदर्शन नहीं कर सकता है।

– सिर्फ परीक्षार्थियों, विवाह समारोह, शव यात्रा व धार्मिक उत्सव पर निषेधाज्ञा लागू नहीं की जाती है।
– कोई भी व्यक्ति लाठी, डंडा, स्टिक या किसी भी प्रकार का घातक अस्त्र, आग्नेयास्त्र लेकर नहीं चल सकता है।

– जिन शस्त्रों को लेकर लाइसेंस मिला हो वो भी कार्यालय में लेकर प्रवेश नहीं कर सकते हैं।
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– बिना अनुमति जुलूस निकालने या चक्काजाम करने पर भी रोक होती है।

– बिना अनुमति तेज़ आवाज़ में पटाखे बजाने या बेचने पर भी रोक होती है।
– किसी समुदाय-सम्प्रदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले उत्तेजनात्मक भाषण या विज्ञापन पर भी रोक होती है।

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– बिना अनुमति के लाउडस्पीकर, डीजे इत्यादि का प्रयोग करने पर भी प्रतिबंध होता है।
– परीक्षा केंद्र से दो सौ गज की दूरी पर पांच या उससे ज्यादा लोग इकट्टे नहीं हो सकते हैं।

– शादी-बारातों में भी शौकिया तौर पर शस्त्रों के प्रदर्शन करने पर भी रोक होती है।

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