Coronavirus से लड़ाई में साबुन या सैनिटाइजर में कौन बेहतर? इस संबंध में DRDO अध्यक्ष के तकनीकी सलाहकार एस जोशी ने बताया कि संगठन ने एक कॉन्टैक्टलेस डिस्पेंसर विकसित करने के बाद इसे अपने मुख्यालय में लगाया है। यह मशीन बिना इसे छुए सैनिटाइजर छोड़ती है और आने वाले लोगों को कीटाणुरहित करने में मददगार है।
इस ऑटोमैटिक हैंड सैनेजाइजेशन मशीन का नाम ओकमिस्ट ( Oakmist ) रखा गया है। राष्ट्रपति भवन, सुप्रीम कोर्ट, प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्रालय समेत तमाम सरकारी दफ्तरों में इस मशीन का इस्तेमाल हैंड सैनेटाइजेसन के लिए किया जा रहा है। किसी वाटर आरओ मशीन जैसी नजर आने वाली इस मशीन में अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर होता है, जो बिना इसे छुए ही दूर से हाथ सेंस करके बहुत तेजी से स्प्रे छोड़ता है
सरकारी दफ्तरों में इसे स्थापित करने के बाद अब इसे आम जनता के लिए भी उपलब्ध करा दिया गया है। वॉटर मिस्ट एरेटर तकनीक यानी पानी की फुहारे छोड़ने वाली तकनीक पर आधारित ओकमिस्ट मशीन को जल संरक्षण के लिए विकसित किया गया था। यह डिस्पेंसिंग यूनिट बिना संपर्क के काम करती है और इसमें लगा अल्ट्रासोनिक सेंसर इसे सैनेटाइजेशन शुरू करने का संदेश देता है।
एक शख्स मोबाइल-चाबी को हैंड सैनेटाइजर से कर रहा था सैनेटाइज और तभी हो गया बड़ा कांड इसकी फुहार इतनी तेज होती है कि एक बार करीब 5 सेकेंड तक केवल 5-6 मिलीलीटर सैनेटाइजर छोड़ा जाता है। इस फुहार के जरिये लिक्विड बेकार नहीं होता और दोनों हाथों को पूरी तरह से सैनेटाइज करने लायक होता है।
इस संबंध में रायोट लैब के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी शिशिर गुप्ता ने कहा कि यह यूनिट डीआरडीओ भवन, पीएमओ, गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, सेना कार्यालयों, सुप्रीम कोर्ट और अन्य परिसरों सहित प्रमुख सरकारी कार्यालयों में पहले ही लगाई जा चुकी है। कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई को केवल स्वस्थ स्वास्थ्य आदतों को अपनाकर ही जीता जा सकता है और स्वच्छता सभी के लिए जरूरी है।