सुप्रीम कोर्ट में आज सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई होगी। वर्मा ने खुद को जबरन छुट्टी पर भेजे जाने को चुनौती दी है। उनका कहना है कि सीबीआई निदेशक का कार्यकाल दो साल का होता है। उन्हें इससे पहले काम से अलग करना दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के प्रावधानों के उल्लंघन है। उनका करियर बेदाग है। इस तरह के आरोपों के चलते उन्हें नहीं हटाया जाना चाहिए था।
दूसरी याचिका एनजीओ कॉमन कॉल की है। कॉमन कॉल ने राकेश अस्थाना और उनकी टीम के अधिकारियों पर लगे आरोपों की जांच के लिए एसआईटी बनाने की मांग की है। तीसरी याचिका लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की है। खड़गे ने आलोक वर्मा के समर्थन में याचिका दाखिल की है। उन्होंने वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने को नियमों के खिलाफ बताया है। खड़गे लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी का नेता होने के नाते सीबीआई निदेशक का चयन करने वाली समिति के सदस्य भी थे।
इन याचिकाओं के अलावा एक याचिका राकेश अस्थाना की भी है। उन्होंने भी खुद को छुट्टी पर भेजे जाने को चुनौती दी है। उन्होंने आलोक वर्मा को पद से हटाने की भी मांग की है। पिछली तारीख को उनकी याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी थी। आज कोर्ट उनकी याचिका पर भी सुनवाई कर सकता है। आपको बता दें कि 26 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा और कॉमन कॉज की याचिका पर सुनवाई की थी। तब कोर्ट ने कहा था कि केंद्रीय सतर्कता आयोग यानी सीवीसी वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की जांच दो हफ्ते में पूरी करे। जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ए के पटनायक करेंगे। जांच रिपोर्ट देखने के बाद तय किया जाएगा कि क्या और जांच की जरूरत है। जांच पूरी होने तक वर्मा अपने दफ्तर नहीं जा सकते। साथ ही कार्यवाहक निदेशक नागेश्वर राव कोई बड़ा फैसला नहीं लेंगे। राव अधिकारियों के ट्रांसफर और दूसरे मसलों पर लिए गए फैसलों की जानकारी कोर्ट को दें। कोर्ट देखेगा कि उनके फैसले सही हैं या नहीं।
आज सुप्रीम कोर्ट सीवीसी की रिपोर्ट देखेगा और तय करेगा कि मामले में और जांच की जरूरत है या आलोक वर्मा को उनके पद पर बहाल किया जा सकता है या नहीं। कोर्ट ये भी देखेगा कि नागेश्वर राव ने जो फैसले लिए वो सही है या नहीं। कोर्ट ये भी तय कर सकता है कि अस्थाना के ऊपर लगे आरोपों की किस तरह से जांच हो।