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ब्रेन स्ट्रोक के मरीज ‘कूलर’ सूट पहनकर पाएंगे नया जीवन

लंदन में तैयार किया गया वाइन कूलर सूट। मरीज को बचाने के लिए शरीर ठंडा रखा जाता है।

Sep 04, 2016 / 03:17 pm

रोहित पंवार

Brain stroke

Brain stroke

लंदन. दुनियाभर में ब्रेन स्ट्रोक यानी दिमागी आघात के बाद महज 40 फीसदी लोग ही बच पाते हैं। ब्रिटेन के डॉक्टरों ने ऐसे मरीजों की जान बचाने के लिए एक नया हल खोज निकाला है। वाइन कूलर सूट तैयार किया है। यह मरीज के शरीर के तापमान को ठंडा रखता है। डॉक्टरों ने शोध में पाया है कि इससे मरीज का ब्रेन डैमेज नहीं होगा। उसे एक नई जिंदगी में मिल सकती है। 


कई मरीजों पर हुअा सफल ट्रायल

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन हॉस्पिटल्स के क्लिनिकल प्रमुख डॉ. रिचर्ड पैरी ने अपनी टीम के साथ कई मरीजों पर इस सूट का ट्रायल किया। उन्होंने कहा, हमने ऐसे मरीजों को चुना जिन्हें स्ट्रोक हुआ था। इसे पहनने के बाद वो न सिर्फ ठीक हुए बल्कि अन्य उपचार के मुकाबले उन्होंने बेहद कम दिनों में अपना जीवन सामान्य कर लिया। डॉ. रिचर्ड ने इस सूट की खासियत बताई। उन्होंने बताया कि वाइन कूलर सूट को इस तरह से बनाया गया है कि ऊपर से नीचे तक इसमें ठंडी लिक्विड चीज डाली जा सके। डॉक्टर के अनुसार, उपचार के दौरान विभिन्न हिस्सों में खारे पानी की ठंडी लिक्विड डिप डाली जाती है। पांव से होते हुए कंधे व हाथ तक लिक्विड का प्रवाह होता है। इससे शरीर के बाकी हिस्सों से लेकर दिमाग तक खून का सही तरीके से प्रवाह होता है। खून सही तरीके से दिमाग तक पहुंचने पर ब्रेन डैमेज की संभावना बेहद कम हो जाती है। 

34 से 35 तापमान रखता है

सूट पहनाने से मरीज के शरीर का तापमान 34 से 35 तक बना रहता है। शुरुआती छह घंटे तक इतना तापमान रहता है। इसके बाद खारे पानी की ठंडी डिप को बदला जाता है ताकि हर अगले छह घंटे तक शरीर का तापमान कम बना रहे और खून का सही से प्रवाह हो। बता दें कि जिन्हें हार्टअटैक आता है, उन्हें दिमाग के दौरे से बचाने के लिए डॉक्टर इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल करते रहे हैं। हालांकि इस तकनीक में ऐसा कोई सूट नहीं होता। वो शरीर को ठंडा रखने के नुस्खे अपनाते हैं। साल 2002 में अमरीका के डॉक्टरों ने दावा किया था कि दिल की बीमारी के जिन मरीजों का शरीरा ज्यादा ठंडा रहता है, उनके बचने की संभावना ज्यादा रहती है।

टैक्सी में हुआ था ब्रेन स्ट्रोक

लंदन के 57 वर्षीय मार्क हारवुड को टैक्सी में सफर करते समय ब्रेन स्ट्रोक हुआ था। उस दौरान वो अचानक से बेहोश हो गए थे। हाथ-शरीर ने काम करना बंद कर दिया था। साथ में लकवा भी मार गया था। दो महीने तक डॉक्टरों की टीम ने उन्हें इस सूट में रखा। इलाज करवाया। उसके बाद वह ठीक हो गए। 

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