इस बात को देखते हुए भारत के पक्ष में वैश्विक समर्थन ( World community support ) में लगातार इजाफा हो रहा है। अमरीका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया के बाद अब जापान और ब्रिटेन ने भी इस मुदृदे पर भारत का खुलकर समर्थन ( Open Support ) देने की घोषणा की है। इससे भारत का पक्ष वैश्विक मंच पर और ज्यादा मजबूत हुआ है।
दरअसल, भारत अपने मित्र व प्रभावी देशों को एलएसी की स्थिति के बारे में लगातार पर अपडेट कर रहा है। इनमें से ज्यादातर देशों की ओर से भारत को सीमा विवाद ( India-China Border Dispute ) पर समर्थन मिला है। भारत ने जापान के साथ अमरीका, फ्रांस, रूस और जर्मनी को एलएसी पर तनाव की ताजा स्थिति की जानकारी दी है।
जापान ने किया यथास्थिति बदलने का विरोध जापान ने भारत को आश्वासन दिया है कि वह चीन द्वारा एलएसी पर यथास्थिति को बदलने के लिए चीन के एकपक्षीय प्रयास का विरोध करेगा। इससे पहले विदेश सचिव हर्ष वी श्रृंगला और भारत में जापान के राजदूत सतोशी सुजुकी के बीच शुक्रवार सुबह फोन पर बातचीत के दौरान इस मामले पर चर्चा हुई।
जापान ने कहा कि शांतिपूर्ण समाधान ( Peaceful solution ) को आगे बढ़ाने के लिए भारत सरकार की नीति ( Indian Government Policy ) सहित एलएसी ( LAC ) के साथ स्थिति पर उनकी जानकारी की सराहना करता है। जापान संवाद के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान की उम्मीद भी करता है। साथ ही जापान ने यथास्थिति को बदलने के किसी भी एकतरफा प्रयास का विरोध किया है।
चीन का आक्रामक रवैया विश्व शांति के खिलाफ वहीं, व्हाइट हाउस ( White House ) ने बुधवार को चीन का भारत के साथ चल रहे सीमा टकराव पर तीखी टिप्पणी की है। अमरीका व्हाइट हाउस ने चीन की आक्रामकता गलत करार दिया है। व्हाइट हाउस प्रेस सचिव Kayleigh McEnany ने राष्ट्रपति ट्रंप को कोट करते हुए कहा कि भारत-चीन सीमा पर ड्रैगन का आक्रामक रुख दुनिया के अन्य हिस्सों में चीनी आक्रामकता ( Chinese aggression ) के एक बड़े पैटर्न के साथ फिट बैठता है और ये कार्रवाई चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ( CPP ) की वास्तविक प्रकृति की पुष्टि करता है।
नितिन गडकरी ने चीन के खिलाफ सरकार का किया बचाव, कहा – जरूरतों के हिसाब से बनाने होंगे नए नियम फ्रांस ने हिंसक झड़प को भारत पर हमला बताया फ्रांसीसी रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पैली ( French Defense Minister Florence Paley ) ने 29 जून को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को चिट्ठी लिखकर गलवान घाटी में 20 भारतीयों की शहादत पर शोक व्यक्त किया। फ्रांसीसी रक्षा मंत्री ने पत्र में लिखा कि यह सैनिकों, उनके परिवारों और राष्ट्र के खिलाफ एक हमला था। इन कठिन परिस्थितियों में मैं फ्रांसीसी सशस्त्र बलों के साथ अपने दृढ़ और मैत्रीपूर्ण समर्थन को व्यक्त करना चाहती हूं। उन्होंने कहा कि भारत और फ्रांस आपस में रणनीतिक साझेदार हैं। रक्षा मंत्री पार्ली ने अपने देश की गहरी एकजुटता को भारत के लिए फिर से दोहराया है।
ऑस्ट्रेलिया ने 270 अरब डॉलर का निवेश का भरोसा दिया ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन ( Australia’s PM Scott Morrison ) ने बीते एक जुलाई को कहा कि आगामी दशक में देश की रक्षा क्षमताओं के आधुनिकीकरण के लिए 270 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का निवेश किया जाएगा। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत ( India-Pacific region ) क्षेत्र में चीन के आक्रामक तेवरों को देखते हुए किसी भी प्रकार के आक्रमण को रोकने या जवाबी कार्रवाई करने के लिए यह कदम उठाया जाएगा। वहां के पीएम ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरती हुई चुनौतियों का अर्थ है कि हमें नया तरीका अपनाना होगा जिनसे उन गतिविधियों को रोका जा सके जो हमारे हितों के विपरीत हों।
मॉरिसन ने कहा कि हिंद प्रशांत क्षेत्र रणनीतिक प्रतिस्पर्धा और तनाव का केंद्र बन चुका है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन का बढ़ता सैन्य और आर्थिक प्रभाव क्षेत्र के विभिन्न देशों के लिए चिंता का विषय है।
Chandra Grahan 2020 : कल लगेगा साल का तीसरा चंद्र ग्रहण, जानिए कहां-कहां दिखेगा? हॉंग कॉंग को अपनी नागरिकता देगा ब्रिटेन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ( British Prime Minister Boris Johnson ) ने चीन पर समझौते के उल्लंघ्न का आरोप लगाते हुए हांगकांग के लोगों को ब्रिटेन की नागरिकता देने की कोशिश की। इसपर चीन ने पलटवार करते हए कहा कि यूके को हांगकांग के लोगों को नागरिकता देने का कोई अधिकार नहीं। चीन ने कहा कि वो ब्रिटेन को हांगकांग के लोगों को नागरिकता ( Citizenship ) नहीं देने देंगे और इसके लिए कड़े कदम उठाएंगे। साथ ही उन्होंने सीमा विवाद पर भारत का समर्थन किया है।
आसियान ने दी चीन को खुली चेतावनी दक्षिण पूर्व एशियाई देशों ( ASEAN ) ने दक्षिण चीन सागर में आक्रामक गतिविधियों को लेकर चीन को खुली चेतावनी दी है। ऑनलाइन आसियान सम्मेलन में 26 जून को एकजुटता दिखाते हुए वियतनाम और फिलीपींस ने कहा कि कोविद-19 के संकट के दौरान कोई भी देश दक्षिण चीन सागर में खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों को बढ़ावा न दे। वियतनाम और फिलीपींस विवादित दक्षिण चीन सागर में चीन की एकतरफा कार्रवाई कर द्वीपों पर नियंत्रण की कोशिश को लेकर पहले ही विरोध दर्ज करा चुके हैं।