25 जुलाई को विंध्य कॉरिडोर का शिलान्यास कर सकते हैं सीएम योगी
विंध्य कॉरिडोर के पहले चरण में मंदिर के चारों ओर 50 फीट का परिक्रमा पथ बन रहा है। मंदिर तक जाने वाले चार रास्ते भी 35 से 40 फीट तक चौड़े होंगे। धर्मार्थ कार्य मंत्री नीलकंठ तिवारी का कहना है कि प्रथम चरण का शुरुआती काम पूरा हो चुका है। काशी विश्वनाथ मंदिर की तरह विंध्याचल स्थित मां विंध्यवासिनी धाम भी आबादी के बीच में स्थित है। यहां तक पहुंचने के रास्ते बेहद संकरे हैं। इसी के मद्देनजर विंध्य कॉरिडोर का निर्माण हो रहा है। 30 अक्टूबर 2020 को योगी कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी थी।
पहले चरण में मंदिर के चारों ओर 50 मीटर चौड़ा गलियारा (परिक्रमा पथ) बन रहा है। इससे मंदिर का परिसर कई गुना बढ़ जाएगा। मंदिर को जोडऩे वाले चार मार्गों का विस्तार कम से कम 40 फीट तक हो रहा है। 35 फिट से कम कोई रास्ता नहीं होगा।
अब रोज होंगे मां विंध्यवासिनी देवी के मंदिर में दर्शन
671 मकान हुए ध्वस्त
परिक्रमा पथ के निर्माण के लिए 92 सम्पत्तियों और 671 मकानों को गिराया गया है। इन संपत्तियों के मालिकों को अब तक 133 करोड़ मुआवजे के रूप में दिया जा चुका है। विंध्य कॉरिडोर की लागत 331 करोड़ रुपए के लगभग है। लेकिन, अब कॉरिडोर के तहत काली खोह और अष्टभुजा मंदिर का निर्माण भी किया जाना है। इससे लागत बढ़ जाएगी।
क्षेत्र के विकास के लिए विंध्य धाम विकास परिषद गठित किया गया है। परिषद भक्तों और यात्रियों की सुविधा के लिए काम करेगा।
विंध्यवासिनी मंदिर में निभाई गई सदियों पुरानी परम्परा
प्रदेश का पहला रोपवे बनकर तैयार
विंध्य कॉरिडोर के आसपास पहाड़ी क्षेत्र में कई खूबसूरत झरने, कुंड और वाटर फॉल्स हैं। यहां अष्टभुजा पहाड़ी पर पूर्वी उत्तर प्रदेश का पहला रोपवे बनकर तैयार है। अब अष्टभुजा मंदिर के लिए खड़ी पहाड़ी सीढिय़ां नहीं चढऩी होंगी। मां विंध्यवासिनी मंदिर से पांच मिनट में अष्टभुजा मंदिर पहुंचा जा सकेगा।
कुल लागत- 331 करोड़
परिक्रमा पथ 50 फीट चौड़ा- 1941.41 लाख रुपए
न्यू वीआइपी गली-35 फीट चौड़ी- 666.02 लाख रुपए
पुरानी वीआइपी गली-40 फीट चौड़ी-1567.28 लाख रुपए
कोतवाली गली-35 फीट चौड़ा- 235.07 लाख रुपए
पक्का घाट की गली- 35 फीट चौड़ी- 902.24 लाख रुपए