वर्ष 2007 में बसपा सरकार आने के बाद से आज तक यानी इन 14 सालों में चोरी के इस बाजार ने खूब तरक्की की। इसके बाद सपा सरकार में तो बाजार का आतंक नार्थ ईस्ट से लेकर जम्मू—कश्मीर तक पहुंच गया। चोरी की गाड़ियां मेरठ में लाकर बेची जाती थी और इन गाड़ियों के फर्जी कागजात बनवाकर इनको नार्थ ईस्ट और जम्मू—कश्मीर में बेचा जाता था। ऐसे कई गिरोह पुलिस ने पकड़े जिनके तार असम, नागालैंड और अन्य राज्यों से रहे। इन राज्यों से चोरी की गाड़ी के कागजात बनवाकर उनको ऊंचे दामों में बेचा जाता था।
भाजपा सरकार की सख्ती नहीं आई काम 2017 में जब प्रदेश में भाजपा सरकार बनी तो माना जाने लगा था कि गाड़ी चोरी के इस बाजार पर अंकुश लगेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पुलिस के संरक्षण में चल रहे चोरी के इस बाजार पर अंकुश लगाने के लिए समय—समय पर भाजपा के जनप्रतिनिधि एसएसपी से मिलते रहे, लेकिन उसके बाद भी इस बाजार पर कुछ खास असर नहीं पड़ा। उल्टा सोतीगंज के कबाड़ियों ने गांव में बड़े बड़े गोदाम बना लिए और वहां पर चोरी की गाड़ियों को काटा जाना लगा। पुलिस के छापेमारी में पकड़े गए आरोपियों ने भी इस बात को स्वीकार किया।
लोकसभा तक में गूंज उठा है सोतीगंज का मामला वाहनों के स्लाटर हाउस सोतीगंज का मामला लोकसभा तक में गूंज उठा है। मेरठ—हापुड़ से सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने खुद लोकसभा में यह मुद्दा उठाया था और इस पर पूरी तरह से रोक लगाने की मांग संसद से की थी। जिस पर केंद्र सरकार ने संज्ञान लेते हुए यूपी सरकार को मेरठ के सोतीगंज बाजार पर कड़ा एक्शन लेने के लिए कहा था।
अब हुई कड़ाई तो भूमिगत हो गए कबाड़ी हाजी गल्ला हो या हाजी इकबाल, हकीकत तो ये हैं भले ही सोतीगंज में इन कबाड़ियों की तूती बोलती हो। लेकिन तस्वीर इसके कुछ जुदा है। हाजी गल्ला और हाजी इकबाल के अलावा भी करीब 30 कबाड़ी सोतीगंज में ऐसे हैं जो आज अरबपति हो चुके हैं। नए एसएसपी प्रभाकर चौधरी की सख्ती के चलते सभी इस समय भूमिगत हो गए हैं। शायद यही कारण है कि अब गाड़ियों की चोरी में भी कमी आई है।