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शरीर के इन हिस्सों पर गिर जाए छिपकली तो बहुत गूढ़ हैं इनके मायने, जानिए इनके बारे में ये हैं पांच मुख्य कर्म पहला कर्म है तर्पण इसमें आपको अपने पितरों को प्रतिदिन श्राद्ध के दिनों में दूध, तिल, कुशा, पुष्प, सुगंधित जल पित्तरों को नित्य अर्पित करना होता है। दूसरा कर्म होता है पिंडदान। इसमें चावल या जौ के पिंडदान करके भूखों को भोजन देना होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है। तीसरा कर्म है वस्त्रदान। इसमें निर्धनों को वस्त्र का दान करना चाहिए। चौथा कर्म है दक्षिणा। इसमें भोजन के बाद दक्षिणा दिए बिना एवं चरण स्पर्श बिना फल नहीं मिलता। इसलिए गरीब को भोजन करवाकर उसको दक्षिणा देकर और चरण स्पर्श कर घर से विदा करें। पांचवां और आखिरी कर्म है। पूर्वजों के नाम पर , कोई भी सामाजिक कृत्य जैसे-शिक्षा दान,रक्तदान, भोजनदान, वृक्षारोपण ,चिकित्सा संबंधी दान आदि अवश्य करना चाहिए।
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Vishwakarma Jayanti 2018: भगवान विश्वकर्मा की इस शुभ मुहूर्त में एेसे पूजा करें पूर्वजों की आत्मा को मिलती है शांति ज्योतिषाचार्या विभा रस्तोगी के अनुसार उपरोक्त कर्म श्राद्ध के दिनों में आवश्य करना चाहिए। इसको करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और उनकी आत्मा तृप्त होती है। तर्पण का काम सुबह प्रात: करना चाहिए। नहाने के बाद बिना कुछ खाए पिए ही तर्पण का फल मिलता है। इसके अलावा पिंडदान के लिए किसी नदी या नहर के किनारे करना चाहिए। पिंडदान के लिए पिंड खुद ही बनाना चाहिए। पिंड जौ के आटे और उड़द की दाल के होने चाहिए।