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सावन में 20 साल बाद बन रहा यह दुर्लभ संयोग, इस महीने शिव की भक्ति करेंगे एेसे तो मिलेगा मनोवांछित फल भगवान शिव को सबसे प्रिय लगता है सावन मेरठ के प्रसिद्ध राजराजेश्वरी मंदिर में पारद शिवलिंग हैं जिसकी पूजा पंडित ब्रहमचारी जी महाराज करते हैं। पंडित ब्रह्रमचारी जी महाराज के अनुसार महादेव को सावन माह सबसे प्रिय महीना लगता है, क्योंकि श्रावण मास में सबसे अधिक वर्षा होने के आसार रहते हैं, जो शिव के गर्म शरीर को ठंडक प्रदान करता है। भगवान शंकर ने स्वयं सनतकुमारों को सावन महीने की महिमा बताई कि मेरे तीनों नेत्रों में सूर्य दाहिने, बाएं, चन्द्र और अग्नि मध्य नेत्र है।
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Breaking: कांवड़ यात्रा होगी प्लास्टिक फ्री, इस बार इतने बढ़ जाएंगे शिवभक्त, शासन ने इसे ध्यान में रखकर शुरू की तैयारी नक्षत्रों के अनुसार हैं हिन्दू कैलेंडर में महीने हिन्दू कैलेंडर में महीनों के नाम नक्षत्रों के आधार पर रखे गए हैं। जैसे वर्ष का पहला माह चैत्र होता है, जो चित्रा नक्षत्र के आधार पर पड़ा है, उसी प्रकार सावन महीना श्रवण नक्षत्र के आधार पर रखा गया है। श्रवण नक्षत्र का स्वामी चन्द्र होता है। चन्द्र भगवान भोलेनाथ के मस्तक पर विराजमान है। जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है, तब सावन महीना प्रारम्भ होता है। सूर्य गर्म है एवं चन्द्र ठण्डक प्रदान करता है, इसलिए सूर्य के कर्क राशि में आने से बारिश होती है। जिसके फलस्वरूप लोक कल्याण के लिए विष को ग्रहण करने वाले देवों के देव महादेव को ठंडक व सुकून मिलता है। शायद यही कारण है कि शिव का सावन से इतना गहरा लगाव है।
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पिछली बार सीएम याेगी ने कहा था- बिना डीजे आैर डमरू के कैसी कांवड़ यात्रा, इस बार अफसरों ने दिए ये निर्देश सावन महीने की यह महिमा ब्रहमचारी जी ने बताया कि पुराणों और धर्मग्रंथों को उठा कर देखें तो भोले बाबा की पूजा के लिए सावन के महीने की महिमा का अत्याधिक महत्व है। इस महीने में ही पार्वती ने शिव की घोर तपस्या की थी और शिव ने उन्हें दर्शन भी इसी माह में दिए थे। तब से भक्तों का विश्वास है कि इस महीने में शिवजी की तपस्या और पूजा पाठ से शिवजी जल्द प्रसन्न होते हैं और जीवन सफल बनाते हैं। कुंवारी पुत्रियों को इस माह में शिव और पार्वती दोनों की पूजा करनी चाहिए। जिससे कन्याओं की मुंहमांगी मुरादें पूरी होती है। उनका आने वाला दाम्पत्य जीवन खुशियों से भरा होता है।