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मेरठ

Ravana Dahan Meerut : श्रीराम ने दशानन की नाभि में मारा तीर तो धराशाही हुआ अभिमानी, आतिशबाजी के साथ पुतला दहन

Ravana Dahan Meerut आज दशहरा के दिन मेरठ रामलीला मैदान में श्रीराम ने जैसे लंकापति की नाभि पर तीर चलाया,तीर लगते ही अभिमानी रावण धराशायी हो गया। रावण के धराशायी होते ही पुतला आतिशबाजी के साथ धू-धूकर जल उठा। इसी के साथ बुराई पर अच्छाई की विजय हुई और लोगों ने रावण के मारे जाने पर श्रीराम के जय—जयकारे लगाए और पुष्प वर्षा की।

मेरठOct 05, 2022 / 09:48 pm

Kamta Tripathi

श्रीराम ने मारा लंकाधिपति रावण की नाभि में तीर तो ​आतिशबाजी के जला पुतला

श्रीराम ने मारा लंकाधिपति रावण की नाभि में तीर तो ​आतिशबाजी के जला पुतला

Ravana Dahan Meerut मेरठ में विभिन्न जगहों पर आयोजित रामलीला दशहरा मेले में श्रीराम—रावण युद्ध का मंचन किया गया। जिसमें श्रीराम-रावण युद्ध में रावण के सभी महारथी मारे गए। श्री सनातन धर्म रक्षिणी सभा पंजीकृत मेरठ शहर के तत्वधान में श्री रामलीला कमेटी पंजीकृत मेरठ शहर द्वारा दिल्ली रोड स्थित रामलीला मैदान में राम – रावण युद्ध का लीला मंचन व विशालकाय दशानन दहन किया गया। भगवान श्रीराम दल व रावण सेनायुद्ध के लिए रथ पर सवार होकर बैंड बाजे के साथ दिल्ली गेट चौक स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर से ब्रह्मपुरी, इंदिरा नगर से होते हुए बहादुर मोटर्स के सामने से रामलीला मैदान दिल्ली रोड पहुंचे।
दोनों ही पक्षों के वीर, अपनी पूरी शक्ति के साथ सुसज्जित खड़े थे। एक ओर अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित रावण की असुर सेना, दूसरी ओर वृक्ष, चट्टान आदि उठाये भगवान राम की वानर और रीछों की सेना थी। एक ओर रावण अस्त्र-शस्त्रों से लदे अपने विशाल रथ पर सवार चला आ रहा था, दूसरी ओर भगवान राम धरती पर नंगे पाँव खड़े थे। यह देखकर भगवान राम के प्रति अपने प्रेम से अधीर होकर विभीषण जी कहते हैं, हे नाथ! न आपके पास रथ है, ना ही आपके पैरों में जूते तक हैं। रावण जैसे बलवान वीर से आप किस प्रकार जीत सकेंगे? भगवान राम मुस्कराते हुए कहते हैं कि सुनो मित्र! जिस रथ से विजय होती है, वह रथ ऐसा होता है। जीवन-रण के विजय-रथ में शौर्य और धैर्य रुपी दो पहिये होते हैं|

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रणभूमि में रथ पर सवार रथी की पहचान के लिए रथ पर ध्वज और पताका (ध्वज के नीचे उससे थोड़े छोटे ध्वज को पताका कहते हैं) होते हैं। जब तक ध्वज और पताका रणभूमि में दिखती रहती है, रथी सकुशल माना जाता है। अंत में श्रीराम और रावण के बीच भयंकर युद्ध होता है। जब रावण नहीं मर पाया। तब विभीषण ने श्रीराम को लंकापति रावण की नाभि में अमृत होने की बात बताई। श्रीराम ने एक तीर रावण की नाभि में मारा। जिससे रावण तीर लगते ही धराशायी हो गया। रावण के धराशाही होते ही पुतलों में भयंकर विस्फोट होने लगा और वो आग के हवाले हो गए। वरिष्ठ संरक्षक डॉ0 राम कुमार गुप्ता के निर्देशन में संपूर्ण लीला संपन्न हुई। 120 फुट ऊँचे रावण दहन उनके द्वारा किया गया। रावण दहन के पश्चात 2 घंटे से अधिक समय तक आतिशबाजी होती रही। आसमान में रंग-बिरंगे पटाखों की रोशनी से संपूर्ण मेरठ शहर जगमगा गया। दस हजार पटाखों वाली लड़ी का भरपूर आनंद वहां मौजूद बच्चों व जनता ने उठाया। संपूर्ण लीला मंचन के लिए संस्था पदाधिकारियों व कलाकारों का उत्साहवर्धन मुख्य संरक्षक डॉक्टर लक्ष्मीकांत वाजपेई जी राज्यसभा सांसद द्वारा किया गया।

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जिमखाना मैदान बुढ़ाना गेट मेरठ शहर व रामलीला मैदान के संपूर्ण मंचन की मुख्य भूमिका में कमल दत्त शर्मा रहे। कार्यक्रम में संस्था अध्यक्ष मनोज गुप्ता राधा गोविंद मंडप, संयोजक उत्सव शर्मा, महामंत्री मनोज अग्रवाल , कोषाध्यक्ष योगेंद्र अग्रवाल, राकेश शर्मा संचालक, पंकज गोयल पार्षद, विपुल सिंघल, राकेश गर्ग, कृष्ण गोपाल शर्मा इस्कॉन वाले, राजेन्द्र अग्रवाल प्लास्टिक, विपिन गुप्ता बिजली वाले, अजित शर्मा, उमा शंकर पाल, अजय गोयल अनन्या, प्रदीप अग्रवाल, मनोज जिंदल, दीपक गोयल ,संदीप गोयल रेवड़ी, सचिन गोयल, राजन सिंघल, संदीप पाराशर, दीपक सिंघल, सुरेश गोयल ,संजय, मयूर अग्रवाल सहित भारी संख्या में भक्तगण मौजूद रहे।

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