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इन शर्तों के साथ एक मार्च से खुलेंगे कक्षा एक से पांच तक के स्कूल, पढ़ें पूरी गाइडलाइन दरअसल, मेरठ के अधिवक्ता एके जैन ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी कि क्या राष्ट्रपति भवन से चोरी गई बेशकीमती चीजें मिल गई हैं। इस पर राष्ट्रपति भवन सचिवालय नई दिल्ली के विशेष कार्य अधिकारी आरके शर्मा ने जो जानकारी दी है। उनके मुताबिक, 117 कीमती वस्तुएं 23 साल बाद भी बरामद नहीं हुई हैं। इसके अतिरिक्त उक्त मुकदमे के संबंध में उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति भवन का इससे कोई संबंध नहीं है। आश्चर्य की बात है कि जब पुलिस राष्ट्रपति भवन से चोरी किया गया सामान 23 साल बाद भी बरामद नहीं करा सकती और मुकदमे की पैरवी नहीं सकती तो आम जनता पुलिस से कैसे न्याय की उम्मीद कर सकती है। अधिवक्ता एके जैन ने बताया कि यह बड़ी हास्यप्रद स्थिति है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बैठाई थी जांच जिस समय राष्ट्रपति भवन से उक्त बेशकीमती सामान चोरी हुआ था। उस दौरान देश के राष्ट्रपति केआर नारायणन थे। इसके बाद बीच में दो और राष्ट्रपति बने जिनमें 2002 में एपीजे अब्दुल कलाम और 2007 में प्रतिभा देवी पाटिल रही, लेकिन इन दोनों राष्ट्रपतियों ने चोरी हुई बेशकीमती चीजों का संज्ञान नहीं लिया। इसके बाद जब वर्ष 2012 में प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बने तो उन्होंने राष्ट्रपति भवन में रखे बेशकीमती सामान का म्यूजियम बनवाना चहा। इसी दौरान उन्हें इस चोरी का भी पता चला। रायसीना हिल्स से पुरानी वस्तुओं के गायब होने की जानकारी राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को मिली तो उन्होंने इस संबंध में जांच बैठा दी थी, जिसमें पुराने अफसरों से चोरी गई चीजों के बरामदगी के निर्देश दिए गए थे।
गांधी-इरविन समझौते और माउंटबेटन की मेज तक हो गई गायब चोरों ने गांधी इरविन समझौते और माउंटबेटन की मेज तक गायब कर दी, जो कि देश की बेशकीमती धरोहर में शामिल मानी जाती है। 1931 में इसी मेज पर और इसी भवन में महात्मा गांधी और लार्ड इरविन के बीच समझौता हुआ था। इसी तरह से हिंन्दुस्तान के आखिरी वायसराय रहे लार्ड माउंटबेटन की पढ़ाई वाली मेज के बारे में भी कुछ पता नहीं चल सका है।