जानकारी के अनुसार तत्कालीन एडीजी प्रशांत कुमार ने मेरठ जोन पुलिस की साइबर क्राइम सेल प्रभारी प्रबल कुमार पंकज व साइबर एक्सपटर्स विजय कुमार को जांच का निर्देश दिया था। जांच में पाया कि आशाराम के मोबाइल बॉक्स पर जो आईएमईआई लिखा हुआ है, वह वर्तमान में मोबाइल में मौजूद आईएमईआई से अलग है। 16 जनवरी 2020 को सर्विस सेंटर मैनेजर ने जवाब दिया कि आईएमईआई नहीं बदली गई। चूंकि उस मोबाइल में जिओ कंपनी का सिम था। इसलिए साइबर सेल ने उक्त आईएमईआई टेलीकॉम कंपनी को भेजकर डाटा मांगा। वहां से रिपोर्ट आई कि 24 सितंबर 2019 को सुबह 11 से 11.30 बजे तक देश के अलग-अलग राज्यों के 13557 मोबाइलों में यही आईएमईआई रन कर रहा है।
बता दें कि अपर पुलिस महानिदेशक मेरठ के कार्यालय में तैनात सब इंस्पेक्टर आशाराम के पास वीवो कंपनी का मोबाइल है। स्क्रीन टूटने पर उन्होंने 24 सितंबर 2019 को मेरठ में दिल्ली रोड स्थित वीवो के सर्विस सेंटर पर मोबाइल दिया। बैट्री, स्क्रीन और एफएम बदलकर सर्विस सेंटर ने उन्हें मोबाइल दे दिया। कुछ दिन बाद डिस्प्ले पर एरर आना शुरू हो गया। जिसके बाद यह पूरा मामला सामने आया है। जिस पर कंपनी के खिलाफ केस दर्ज कर जांच के आदेश दिए गए।
एडीजी मेरठ जोन राजीव सबरवाल ने बताया कि एक शिकायत पर इस केस में जांच हुई। पता चला है कि एक ही आईएमईआई कई हजार मोबाइलों में चल रहा है। यह नियमों का उल्लंघन है। सुरक्षा के लिहाज से भी खतरा है। यदि उस आईएमईआई वाले मोबाइल से कोई अपराध हुआ तो हम अपराधी को पकड़ भी नहीं पाएंगे। मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया है। कंपनी के अधिकारियों से इस संबंध में बातचीत की जाएगी।