यह भी पढ़ेंः हे राम! सौ करोड़ के कर्जदार की सम्पत्ति की नीलामी में भी हो गया घोटाला 25 हजार पाती हैं पेशन उसी पर सब जताते हैं हक शारदा बताती हैं कि उनकी पेंशन 25 हजार रूपये हैं। पेंशन उनके खाते में आती हैं। पेंशन महीने में किस दिन आएगी उसके बारे में उनके पोते और बेटे पता करते रहते हैं। जिस दिन पेंशन आती हैं उन्हें घर ले जाया जाता है और उनको पेंशन निकलवाने के लिए बैंक ले जाते हैं। उस दिन उन्हें अच्छा खाना और बड़े शालीनता से बात की जाती है। उस दिन सबके पास शारदा से बात करने का समय होता है, लेकिन उसके बाद कोई वृद्धाश्रम में आकर उनकी तरफ देखता भी नहीं। उनके त्योहार होली, दीवाली, दशहरा और रक्षाबंधन सब कुछ इसी वृद्धाश्रम के एक कमरे में मनाने होते हैं। घर की याद आती हैं यह पूछने पर एक लम्बी सांस लेते हुए कहती हैं कि आज 84 साल की हो गई वृद्धाश्रम में आए 8 साल हो गए। इतने सालों में दिन में आठ मिनट भी वे अपने घर को नहीं भूलती। बच्चों के बारे में सोचती रहती हैं, लेकिन बच्चे हैं कि उनके पास मां के कोई समय नहीं है। कल मदर्स डे है जब उनको यह बताया गया तो उन्होंने कहा कि जब वह अध्यापिका भी तो मां की अहमियत बच्चों को बताती थी और बच्चों को नसीहत देती थी, लेकिन उन्हें खुद ही नहीं पता था कि उनके अपने ही बच्चे उनकी नसीहत और दिए संस्कार खुद ही भूल जाएंगे।