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मेरठ

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की कलश यात्रा निकालने पर चल रहा मंथन, यात्रा से ओबीसी को साधेगी भाजपा

श्रीराम मंदिर के नायक बनकर उभरे पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनके दिवंगत होने के बाद अब भाजपा उनके नाम को भुनाने की जुगत में लग गई है।

मेरठAug 24, 2021 / 04:09 pm

Nitish Pandey

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मेरठ. उत्तर प्रदेश में पिछले दो दशकों में बहुत कुछ बदल गया है। अगर कुछ नहीं बदला तो वह है चुनाव में जाति को साधने को खेल। विधानसभा चुनाव सिर पर आए तो सियासी बिसात बिछाने का कुछ ऐसा खेल शुरू हो चुका है। हर दल ने जातियों के बल पर विधानसभा सीटों का ब्लूप्रिंट तैयार कर रहा है। ऐसे में भाजपा फिर पीछे कहां रह सकती है। अन्य दलों की तरह भाजपा की जुबान पर जन और जेहन में जाति का खेल चल रहा है।
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कल्याण ने नाम को भुनाने की कोशिश में बीजेपी

श्रीराम मंदिर (Ram Mandir) के नायक बनकर उभरे पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Kalyan Singh) अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनके दिवंगत होने के बाद अब भाजपा उनके नाम को भुनाने की जुगत में लग गई है। राम मंदिर (Ram Mandir) आंदोलन के नायक के रूप में पहचान बनाने वाले प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Ex CMKalyan Singh) के निधन पर उनकी अंतिम विदाई और सम्मान में भाजपा (BJP) संगठन व प्रदेश की सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी।
लोधी मतदाताओं पर बीजेपी की नजर

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) खुद तीन दिन तक और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह (BJP State President Swatantra Dev Singh) अंतिम यात्रा और अंतिम संस्कार में अंतिम समय तक रहे। शिष्टाचार और नैतिकता के नाते इनका उपस्थित रहना लाजमी भी था, लेकिन राजनीतिक रूप से इसका दूसरा रूप देखे तो इसके बहाने प्रदेश के पांच करोड लोधी मतदाताओं को साधने की कवायद भी भाजपा कहीं न कहीं कर रही थी।
पिछड़ी जातियों को साधने की कोशिश

अब पिछड़ी जाति को आगामी विधानसभा चुनाव में साधने के लिए प्रदेश में कल्याण सिंह (Kalyan Singh) की ‘कलश यात्रा’ (Kalyan Singh Kalash Yatra) निकालने की तैयारी शुरू होने वाली है। कल्याण कलश यात्रा (Kalyan Singh Kalash Yatra) की भीतरखाने तैयारी भी शुरू हो चुकी है। इसको अंतिम रूप देने के लिए सरकार, संगठन और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बीच मंथन चल रहा है। संकेत हैं कि जल्द इसके लिए तारीख का एलान किया जाएगा।
संघ और बीजेपी नेताओं में हुई चर्चा

भाजपा (BJP) और संघ (RSS) से जुड़े भरोसेमंद सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री के स्टेडियम से सर्किट हाउस जाने के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सर कार्यवाहक कृष्णगोपाल दिल्ली पहुंचे। इसी बीच संघ के ब्रज प्रांत प्रचारक हरीश रौतेला भी आए। इस दौरान विभाग प्रचारक जितेंद्र कुमार मौजूद रहे। संघ के इन शीर्ष पदाधिकारियों ने कल्याण सिंह के बेटे एटा सांसद राजवीर सिंह राजू भैया से मुलाकात कर शोक संवेदना व्यक्त की और श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस दौरान कृष्णगोपाल ने राजू भैया से दस मिनट तक गुफ्तगू की और फिर वे सर्किट हाउस गए। जहां मुख्यमंत्री से वार्ता हुई।
पूरे प्रदेश में कल्याण कलश निकालने की तैयारी

सूत्रों की माने तो इन मुलाकातों व बातचीत में कलश यात्रा का जिक्र हुआ है। अभी इस पर पार्टी हाईकमान व संघ के शीर्ष नेतृत्व की अंतिम मुहर लगेगी। इसके बाद ही कोई निर्णय सामने आएगा। वैसे माना जा रहा है कि राम मंदिर आंदोलन के नायक के रूप में पहचाने जाने वाले कल्याण सिंह की कलश यात्रा राम मंदिर स्थापना से जोड़कर प्रदेश भर में निकाली जाएगी। इस दौरान कल्याण सिंह के प्रभाव वाले क्षेत्र पर विशेष फोकस रखने पर विचार चल रहा है।
विपक्ष ने साधा निशाना

वहीं कल्याण सिंह की अंतिम यात्रा (Kalyan Singh Kalash Yatra) और उनके मुखाग्नि के समय तीन दिन तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उपस्थित रहने पर विपक्ष ने भी निशाना साधा है। कांग्रेसी नेता अभिमन्यु त्यागी कहते हैं कि ये अच्छी बात है कि कल्याण सिंह के अंतिम यात्रा और उनके दाह संस्कार में उपस्थित होकर मुख्यमंत्री ने मानवता का परिचय दिया है, लेकिन योगी जी के पिता स्वर्ग सिधारे तो योगी जी एक बार उनकी अंतिम क्रिया में उपस्थित नहीं हुए। परन्तु कल्याण सिंह स्वर्ग सिधारे तो बाबा आधी रात कल्याण सिंह जी के द्वारे। वाह रे तेरी चतुराई गोरखपुरिया मठाधीश।
आगरा और मेरठ, बरेली मंडल है लोधा राजपूत बाहुल्य बेल्ट

आगरा और मेरठ के अलावा बरेली मंडल लोधा राजपूत बाहुल्य बेल्ट के रूप में जानी जाती हैं। दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Kalyan Singh Kalash Yatra) की इस पूरे बेल्ट पर बहुत अच्छी पकड़ थी। भाजपा इस पकड़ को बरकरार रखना चाहती है। इसलिए वह कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह को आगे कर कल्याण के चेहरे के रूप में पिछड़ी जाति के सामने उतार सकती है। जिससे कल्याण सिंह की मृत्यु के बाद उपजी सहानुभूति की लहर में भाजपा का बेड़ा पार हो सके।

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