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मायावती ने भूमिहीनों को पट्टे की जमीन दिलार्इ थी, कोर्ट से जीतने के बाद भी अफसर कब्जा नहीं दिला रहे!
तीन महीने में जुड़ी किसानों की नई ऊर्जा किसान नेता नवीन प्रधान का कहना है कि पिछले तीन महीने में देश भर में किसानों की नई ऊर्जा उभरी है, नया नेतृत्व सामने आया है, नया संकल्प जुड़ा है, लेकिन उससे भी बड़ी घटना किसान आंदोलन का बदलता स्वरूप है। किसान की परिभाषा बदल रही है, किसान नेतृत्व की पृष्ठभूमि बदल रही है, किसान आंदोलन के मुद्दे बदल रहे हैं और वैचारिक सरोकार भी बदल रहे हैं।
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कार्रवार्इ की मांग करते-करते एसएसपी कार्यालय पर बेहोश हो गर्इ गुलनाज! महसूस किया जा रहा है बदलाव किसानों के आंदोलन पर बारीक नजर रखने वाले योगेन्द्र यादव ने ‘पत्रिका’ को बताया कि आज यह बदलाव बारीक महसूस हो सकता है, लेकिन किसान आंदोलन के चरित्र में यह बदलाव किसानों की दशा और दिशा बदल सकता है। पिछले दो में देष के 10 राज्यों में किसानों, संगठनों और आंदोलन को आपस में संगठित करने की ओर
काम किया गया है। भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि ‘किसान मुक्ति’ नामक यात्रा के दौरान
मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसान प्रदर्शन पर हुई पुलिस फायरिंग में मारे गए छह किसानों की घटना के के बाद एक ऐसी आंदोलन की रणनीति तैयार की गई। जिसमें किसान भाइयों का रक्त न बहे और उन्हें बलिदान भी न देना पड़े।
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‘गांव बंद किसान छुट्टी पर’ अनोखे आंदोलन से जुड़ रहे देशभर के किसान जून का आंदोलन बदलाव के रूप में देखा जा रहा किसान जन आंदोलन से जुड़े नवीन ने बताया कि किसानों की मौजूदा स्थिति को एकदम धरातल पर जानने और देखने के बाद यकीन से कहा जा सकता है कि जून के किसान आंदोलन से इतिहास में एक बहुत बड़ा बदलाव होने जा रहा है।
पश्चिम उत्तर प्रदेश की खबरों के लिए क्लिक करें जींस पहनने वाली किसानों की नई पीढ़ी करेगी नेतृत्व किसानों ने अब मीडिया ने पकड़ना शुरू कर दिया है। खबरों में अब जींस पहनने वाली किसानों की नयी पीढ़ी के नेतृृत्व के बारे में देखने-पढ़ने को मिलेगा। इनका व्हाटस एप्प और स्मार्ट फोन का इस्तेमाल किसान आंदोलन के लिए किया जाएगा। किसानों का आंदोलन अब खुद को भारतीय कृषि और राजनीति की बदलती प्रवृत्तियों के मुताबिक ढालने का प्रयास कर रहा है।