15 दिन में तैयार कर दी जैकेट इस जैकेट की खासियत है कि यह जवानों को न केवल दुश्मनों की गोलियों से बचाएगी, बल्कि गोलियां भी चलाएगी। इतना ही नहीं यह जैकेट हाईटेक ऐसी टेक्नोलॉजी से लैस की गई है जो कि जवान के घायल होने पर उसकी सूचना कंट्रोल रूम को देगी। जैकेट को बनाने वाले श्याम चौरसिया ने बताया कि उन्होंने इसे महज 15 दिन में मेहनत करके देश के जवानों के लिए तैयार है। यह हाईटेक जैकेट दुश्मनों के हमले के बाद नुकसान होने पर भी एक्टिवेट रहता है।
वायरलेस टेक्नोलॉजी से लैस श्याम ने बताया कि वायरलेस टेक्नोलॉजी से लैस इस हाईटेक बुलेटप्रुफ जैकेट गन में एक वायरलेस ट्रिगर भी हैं। जिसकी मदद से हमारी सेना के जवान बॉर्डर पर 10 से अधिक बंदूकों को रखकर कई किलोमीटर दूर से ही दुश्मनों को मुहतोड़ जवाब दे सकेंगे। ये हाइटेक जैकेट गोली दागने के साथ ही जवान के घायल होने पर लोकेशन भी कंट्रोल रूम को सूचित करेगी। जिससे समय पर घायल जवानों का उपचार शुरू हो और उनकी जान बचाई जा सके।
इंटरनेट से भी चलाई जा सकती है लाइव गन श्याम चौरसिया ने बताया कि इस टेक्नोलॉजी की मदद से बॉर्डर पर तैनात जवान कभी अकेले नहीं होंगे। क्योंकि यह जैकेट जवानों को 24 घंटे बॉर्डर के कंट्रोल रूम से जोड़े रखेगी। इस जैकेट में 11 एमएम के 2 बैरल हैं, जिन्हें जैकेट के आगे या पीछे लगाया जा सकता है।
लाइव कैमरे से लैस यह जैकेट लाइव कैमरे से लैस हैं, ताकि पीछे से हमला करने वाले दुश्मनों को भी मुहतोड़ जवाब दिया जा सके। जैकेट में लगे लाइव गन को इंटरनेट से भी चलाया जा सकता है और अगर कोई दुश्मन किसी जवान पर चाकू से हमला करता है, तो भी यह जैकेट ऑटोमेटिक तरीके से उसे शूट कर देगी। बुलेटप्रुफ जैकेट में लगे गन की मारक छमता 200 मीटर है। इस जैकेट की मदद से किसी भी तरह के हथियार को संचालित किया जा सकता है।
प्रतिभाओं को देंगे मंच एमआईईटी के वाइस-चेयरमैन पुनीत अग्रवाल ने बताया कि कॉलेज में नीति आयोग और एसीआईसी द्वारा स्थापित अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर साइंस लैब है। जहां हम ऐसे छात्रों का पूरा सहयोग करते हैं। हमारे आस-पास में ऐसी बहुत सी प्रतिभाएं हैं जो अविष्कार करते हैं, उनके पास नये-नये आईडिया भी हैं, लेकिन उन्हें उचित सहयोग और मंच नहीं मिल पाता है। ऐसी प्रतिभाओं को हम खोज कर उन्हें एक मंच देंगे। जहां वे अपने आइडिया, अपनी सोच को एक प्रोटोटाइप में बदलकर उसका पेटेंट करा सकें।