केपी त्रिपाठी, मेरठ। लॉकडाउन काफी हद तक कुछ लोगों के लिए परेशानी तो कुछ की सेहत के लिए अच्छा भी रहा। ऐसे समय में जबकि चारों ओर बंदी है। जरूरत का सामान भी लोगों को बड़ी मुश्किल से मुहैया हो रहा है। ऐसे में उन लोगों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जो कि किसी न किसी आदतों के लती हैं, खासकर सिगरेट, बीड़ी, पान, गुटखा खाने वाले। पहले तो लॉकडाउन के दौरान सुबह 12 बजे तक खुली दुकानों में यह समान भी मिल भी जाया करता था, लेकिन जब से मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने सख्ती की तो ये सब मिलना भी बंद हो गया। मिल रहा है तो चोरी-छिपे, वह भी बढ़ी कीमतों के साथ। शौक जब जेब पर भारी पडऩे लगा तो लोगों ने अपनी लत से तौबा कर दी।
यह भी पढ़ेंः एडीजी प्रशांत कुमार ने कहा- मेरठ जोन में अब किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधियों पर दर्ज होगी एफआईआरलौंग-इलायची खाना शुरू किया अनुपम बताते हैं कि वह लॉकडाउन से पहले करीब 20 गुटखा प्रतिदिन खा लिया करते थे, लेकिन जब से लॉकडाउन हुआ है तब से उन्होंने बिल्कुल खाना बंद कर दिया है। जब इसको बंद किया तो पहले शुरू मेें काफी परेशानी हुई। फिर नवरात्र भी आए तो उन्होंने इसको बिल्कुल ही छोडऩे का फैसला कर लिया। अब वे लौंग और इलायची मुंह में डाल लेते हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन उनके लिए काफी अच्छा रहा। कम से कम उनकी यह बुरी आदत तो छूट चुकी है।
यह भी पढ़ेंः मेरठ की मस्जिद में मिले पांच विदेशी जमाती, सर्च अभियान के बाद आसपास के इलाके को किया सैनिटाइजबढ़ी कीमत के कारण छोड़ दिया युवक सोनू शर्मा बताते हैं कि वह पहले 10 से 15 गुटखे प्रतिदिन खा लिया करते थे, लेकिन लॉकडाउन और गुटखों पर जब से प्रतिबंध लगा है तबसे इस पर ब्लैक शुरू हो चुका है। सोनू बताते हैं कि दो रुपये ब्लैक में गुटखा मिल रहा है। इस कारण उन्होंने अब गुटखा खाना कम कर दिया है।अगर नहीं भी मिलता तो नहीं खाते।
यह भी पढ़ेंः Lockdown: बैंकों ने ग्रामीणों से की अपील- भीड़ न लगाएं, घर पर ही रहें, धनराशि पहुंचेगी उनके पासलॉकडाउन की वजह से खत्म हुई लत विशाल बीडी और गुटखा के शौकीन हैं। वह कहते हैं कि पहले तीन से चार बंडल बीडी और दिन में दर्जनों गुटखा खा लिया करते थे, लेकिन जब से लॉकडाउन हुआ है उनकी बीडी और गुटखा कम हो गया है। आज वे एक ही बंडल से काम चला रहे हैं। उन्होंने बताया कि जब जेल जाते हैं तब भी तो वहां ऐसी बुरी आदतें छूट जाती है। जरूरी नहीं है कि इसको खाया ही जाए। उन्होंने बताया कि नहीं मिलेगी तो भी काम चल जाएगा।
नहीं मिलती तो भी चल जाता है काम रिक्शा चालक तेजपाल को बीड़ी की आदत पड़ी है। वह दिन में कई बार बीड़ी पी लिया करते हैं। लॉकडाउन हुआ तो उनकी बीड़ी के शौक पर भी लॉक लग गया है। वह कहते हैं कि अगर नहीं मिलेगी तो कोई जरूरी नहीं है। इस समय दुकाने बंद रहती है। जिसके कारण वे बीडी नहीं खरीद पाते है। इसी के चलते अब वे दिन में एक या दो बीडी पीते हैं। उन्होंने बताया कि जब बीडी की तलब लगती है तो लौंग या इलायची को मुंह में डाल लेते हैं।
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