क्या करें विशेष गंगा दशहरे पर
गंगा स्नान से पूर्व गंगा जी का जल अपने दाएं हाथ से बाएं और बाएं हाथ से दाएं हाथ में लेकर भगवान का ध्यान करें। इसके बाद तीनों महादेवों का तथा उनकी तीनों शक्तियों का व तीनों लोकों का तथा शिव जी के तीनो नेत्रों का तथा देव ऋषि व पितरों को जल अर्पण करें।
गंगा जल में प्रवेश करने से पूर्व अपनी अंजुली से जल लेकर मस्तक पर लगायें तथा गंगा जल में चरण रखते समय क्षमा मांगे। गंगाजल में स्नान करते समय मुख पूर्वोत्तर दिशा में होना चाहिए तथा अपने ईष्ट का ध्यान करके जाप करना चाहिए।
तीन डुबकी अपने लिए तथा बाकी सभी अपने प्रियजनों के लिए उनका नाम व उनका ध्यान करके जो भी डुबकी लगायेंगे तो उन प्रियजनों को भी बारह प्रतिशत पवित्रलाभ सूक्ष्म जगत में प्राप्त हो पायेगा।
गंगा स्नान करते समय भावों से भरा होना चाहिए, हम कितने भाग्यशाली हैं की साक्षात सम्पूर्ण गंगा नदी में डुबकी लगाने को मिल रहा है जिस गंगा जल की एक बूँद भी मरणासन्न व्यक्ति को सद गति प्रदान करती है, वहाँ हमें सपूर्ण स्नान का अवसर मिल रहा है।
गंगा स्नान करते समय ह्रदय से आनंदित तो रहना चाहिए किन्तु हंसी ठिठोली बातचीत करने से लाभों में कमी हो जाती जाती है गंगा तट पर जो भी स्नान ध्यानपूजा जप दान आदि पवित्र कार्य किये जाते हैं वह जीवन में सकारात्मक उर्जा भरते हैं।