Reality Check: रैपिड ट्रेन देेने का दावा करने वाले भाजपा सांसद गोद लिए अपने गांव में आम सुविधाएं भी नहीं दे पाए, देखें वीडियो
केपी त्रिपाठी, मेरठ। बजबजाती नालियां और जगह-जगह पड़ा कूड़े के ढेर। निकलने के लिए यह नहीं समझ आ रहा था कि किधर से निकला जाए। इस लबालब भरे पानी में सड़क का नामोनिशां तक नहीं था। जी हां, कुछ ऐसा ही बुरा हाल था गांव बहादुरपुर का। यह गांव कोई ऐसा वैसा गांव नहीं बल्कि मेरठ-हापुड़ से भाजपा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल का गोद लिया गांव है। जब सांसद के गोद लिए गांव की ये दुर्दाशा है तो बाकी का क्या कहें। बताते चलें कि गांवों की बिगड़ी दशा को सुधारने के लिए और सरकारी योजनाओं को ग्रामीणों तक पहुंचाने के उद्देश्य से ही वर्ष 2014 में जब भाजपा सरकार जीतकर सत्ता में आई। तभी से सरकार की यह नीति रही कि प्रत्येक भाजपा सांसद अपने-अपने संसदीय क्षेत्र का एक गांव प्रति वर्ष गोद लेगा। भाजपा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने भी वैसा ही किया, जैसे कि ऊपर से निर्देश थे। सांसद ने गांव तो गोद लिया, लेकिन इस गांव की वास्तविक हकीकत अलहदा ही रही। खुद गांव का प्रधान सांसद के विकास की पोल खोल देता है। ‘पत्रिका’ की टीम जब मौके पर पहुंची तो गांव की दुर्दशा देखकर लग ही नहीं रहा था कि इस गांव को सांसद ने गोद लिया हो। अधिकांश लोग तो सांसद राजेन्द्र अग्रवाल द्वारा गोद लिए उनके गांव से ही परिचित नहीं थे। गांव के बाहर स्कूल की बदहाली सांसद के विकास की पोल खोल रही थी।
यह भी पढ़ेंः मायावती आैर अखिलेश के एेलान से पश्चिम उत्तर प्रदेश में टूट सकता है सपा-रालोद गठबंधन, देखें वीडियोरैपिड ट्रेन दिलवाने की करते हैं बात गांव बहादुरपुर के वर्तमान प्रधान राजपाल सिंह से जब बात की गई तो उन्होंने खुलकर सांसद की मुखालफत की। उनका कहना था कि सांसद ने गांव को गोद तो जरूर लिया, लेेकिन उन्होंने इस गांव के लिए कुछ किया नहीं। उन्होंने कहा कि सांसद ने सिर्फ लाइन जरूर बदलवाई। इसके अलावा उन्होंने कोई काम नहीं किया। प्रधान राजपाल ने बताया कि उन्होंने सांसद को गांव के विकास और यहां की परेशानियों को दूर करने के लिए कई प्रस्ताव दिए थे, लेकिन आज तक उन प्रस्तावों पर सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने कोई गौर नहीं किया। प्रधान का कहना है कि जब से सांसद ने गांव गोद लिया तब से दो बार आए। उनको ग्रामीणों ने अपनी समस्याएं भी बताई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। प्रधान राजपाल सिंह ने तीन प्रस्ताव सड़क बनाने के भेजे, लेकिन सांसद ने उनको भी तव्वजों नहीं दी। राजपाल बताते है कि सांसद ने गांव में पानी की टंकी का प्रस्ताव जरूर रखा, लेकिन उसकी कोई जरूरत नहीं थी। लिहाजा गांव वालों ने उसके लिए मना कर दिया।
यह भी पढ़ेंः मुस्लिम धार्मिक नेताआें ने अफसरों से कहा- साहब, ये जूता कहीं इस शहर की फिजा न बिगाड़ दे, इस पर रोक लगाएं, देखें वीडियोये हैं ग्रामीणों की सबसे बड़ी परेशानी बहादुरपुर गांव मेरठ जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर स्थित है। मेरठ-दिल्ली हाइवे से करीब तीन किमी भीतर बसे इस गांव के ग्रामीणों की मुख्य समस्या यहां पर बाईपास का नहीं बनना है। प्रधान कहते हैं कि बाईपास नहीं होने से हमको लंबा चक्कर लगाकर मेरठ जाना होता है। अगर बाईपास बन जाए तो यह दूरी बचेगी। वहीं सेंटर पर गन्ना डालने के लिए भी इतनी ही लंबी दूरी तय करनी होती है। उन्होंने कहा कि वैसे तो ग्रामीण इस दूरी के अब अभ्यस्त हो गए हैं, लेकिन जब कोई बीमार होता है या कोई जरूरी इमरजेंसी होती है तो अपने जनप्रतिनिधियों पर बहुत गुस्सा आता है।
बोले सांसद भाजपा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल से जब इस बारे में बात की गई तो उनका कहना था कि वह गांव कई बार गए हैं। गांव में कई विकास कार्य कराए है। खड़ंजा बनवाया है। बिजली की जर्जर लाइनों को ठीक कराया है।
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