आपको बता दे कि सत्यापाल मलिक ने 20 सितंबर को ही गवर्नर का कार्यभार संभाला है। वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हिसावदा गांव के रहने वाले हैं। इसके बाद, राज्य के साढ़े 3 लाख नियमित कर्मचारियों को इंश्योरेंस प्रदान करने के लिए रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को कॉन्ट्रैक्ट दिया गया है। इस इंश्योरेंस के लिए कर्मचारियों और पेंशनधारकों को क्रमश: 8777 रुपये और 22229 रुपये का सालाना प्रीमियम देना था। यह सभी सरकारी कर्मचारियों को लेना अनिवार्य था। राज्यपाल ऑफिस के सूत्रों के मुताबिक सरकार की ओर से ट्रिनिटी ग्रुप ने टेंडर निकाले थे। सूत्रों के मुताबिक रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी को मौका देने के लिए शर्तों में बदलाव किए गए।
वित्त सचिव नवीन चौधरी ने एक अंग्रेजी अखबार से कहा कि शिकायतों के निस्तारण और ट्रांजेक्शन एडवाइजर के लिए ट्रिनिटी ग्रुप का चुनाव बोली की प्रक्रिया के जरिए हुआ था। किसी चूक से बचने के लिए यह एक मानक प्रक्रिया है क्योंकि सरकारी अफसरों को इंश्योरेंस से जुड़े मुद्दों की समुचित विशेषज्ञता नहीं है। उन्होंने कहा कि इस ग्रुप इंश्योरेंस कंपनी की कुल कीमत 280 करोड़ रुपये थी, जिसमें एडवांस प्रीमियम के तौर पर 60 करोड़ रुपये दे दिए गए थे। सूत्रों के मुताबिक, इस 60 करोड़ रुपये का भुगतान कथित तौर पर बिना मुख्य सचिव और राज्यपाल की मंजूरी के हुआ। इस करार को खत्म करने का आदेश जल्द ही जारी होगा। राज्यपाल का कहना है कि कई कर्मचारियों ने ज्यादा प्रीमियम की शिकायत करते हुए इस इंश्योरेंस पॉलिसी को लेने का खिलाफ विरोध जताया था। राज्यपाल के मुताबिक, इन शिकायतों के बाद उन्होंने खुद फाइलों का अध्ययन किया और पाया कि इस स्कीम में कई समस्याएं हैं।