1987 का वह सांप्रदायिक दंगा जिसे आज भी याद कर मेरठवासियों की रूह कांप जाती है। देश-विदेश की मीडिया में चर्चाओं में रहा हाशिमपुरा कांड (Hashimpura Kand) इसी दंगे की देन है। 1987 में मेरठ शहर को चार माह तक कर्फ्यू झेलना पड़ा था। हालात काबू करने के लिए सेना को शहर में उतरना पड़ा था। सरकारी आकंड़ों के मुताबिक दंगे में मरने वालों की संख्या 136 है। वहीं गैर सरकारी दस्तावेज इससे ज्यादा संख्या बताते हैं। कई दंगाइयों पर हत्या और बलवे का मुकदमा दर्ज हुआ था। अब एसीजेएम प्रथम की कोर्ट से लिसाड़ी गेट क्षेत्र के 87 आरोपियों के खिलाफ वारंट जारी हुए हैं, जो हत्या और बलवे में वांछित चल रहे हैं। पिलोखड़ी चौकी इंचार्ज करतार सिंह ने वांछित चल रहे पूर्व पार्षद आबिद पुत्र पीरू निवासी अहमद नगर गली नंबर चार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
कोर्ट से वारंट आने के बाद कुछ वांछितों ने कोर्ट में आत्मसमर्पण की अर्जी भी लगा दी है। इसके साथ ही कई वांछित सूची में अपने नाम की जानकारी भी कर रहे हैं। अधिकतर को तो यह भी नहीं पता कि उनके खिलाफ हत्या और बलवे का मुकदमा दर्ज है। पुलिस ने बताया कि कुछ वांछित तो यहां से जा भी चुके हैं।